रिपोर्ट राजीव थपलियाल एवं फोटो चंद्रवीर गायत्री
अफसोस है कि खनन को लेकर कभी हो हल्ला मचाकर विरोधी पक्ष की सरकार पर भ्रस्टाचार का आरोप लगाने वाली बीजेपी को अब दिखना बन्द हो गया है।
इसमे भी सबसे खराब बात यह कि जीरो टॉलरेंस वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र में ही अवैध खनन बेधड़क चल रहा है। सबूत देखना हो तो सुबह के वक्त देहरादून के दुधली गांव की ओर चले आइए।
विधानसभा से करीब 4-5 किमी की एरियल डिस्टेंस पर यहाँ बहने वाली सुसवा नदी में ट्रैक्टर साफ नजर आएंगे। एक तरफ लग्जरी गा
ड़ियों में कुछ जाने पहचाने राजनीतिक दलों से जुड़े चेहरे औऱ मोटरसाइकिल पर सवार उनके गुर्गे। इन गाड़ियों में प्रधानपति से लेकर माननीयों के प्रतिनिधि दिखना कोई आश्चर्य नही।
सवाल है कि 15 जून से खनन बन्द है तो फिर सुसवा को खोदने की अनुमति किसने दी। वैसे भी मुख्यमंत्री के इलाके में घुसने की हिमाकत कोई साधारण व्यक्ति नही कर सकता है।
किसके इशारे पर वन विभाग के अधिकारी संरक्षित राजाजी पार्क में बाहरी प्रवेश होने देते हैं।
दुधली ग्रामसभा के मोहम्मदपुर बड़कली, खट्टा पानी आदि गांवों में ट्रैक्टर ट्राली खड़ी होती हैं। एक चारदीवारी में पालीहाउस के अंदर से छिपी जेसीबी बाहर निकलती है और शुरू होता है अवैध खनन।
लोग बताते हैं कि जब यह ट्रालियां चलती हैं तो पुलिस चौकी खाली हो जाती है। वन बीट वाले दिशायें बदल लेते है। यह ख़ौफ़ है या मिलीभगत!
बताते हैं कि यहां पर शालिनी नेगी डोईवाला की एसडीएम थी। उनका सरकारी आवास केदारपुरम था, जहां से वे रोज दुधली मार्ग से डोईवाला ऑफिस आया-जाया करती थी। उन्होंने जब अवैध खनन की ट्रालियां पकड़ी तो उन्हें अवैध खनन से जुड़े लोगों ने अन्यत्र रुखसत करा दिया।