कुमार दुष्यंत, हरिद्वार//
डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत रामरहीम को कोर्ट ने सजा सुना दी है।संतई के लबादे में कुकर्मों को अंजाम देने वाला यह कथित ‘बाबा’ अब जेल में अपने किये की सजा भुगतेगा।लेकिन यह अपने आप में न तो ऐसी कोई पहली घटना है और न ही आखिरी। धर्मनगरी हरिद्वार भी कथित संतों के ऐसे ही किस्सों से भरी पड़ी है!
धर्मनगरी हरिद्वार को संतों की भी नगरी कहा जाता है। लेकिन जैसे भले और बुरे लोग समाज में सभी जगह हैं। वैसे ही यहां भी हैं।अतीत में यहां भी गेरुवे वस्त्रों पर कई बार उंगली उठी है। लेकिन दबाव और प्रभाव के कारण ऐसे मामले गुरमीत रामरहीम की तरह मुकाम पर नहीं पहुंच सके।
सत्तर के दशक में जब उत्तरी हरिद्वार के एक आश्रम के घाट पर वहीं पर अध्यापन करने वाली एक शिक्षिका का शव मिला तो हर कोई यह जानकर सन्न रह गया कि आश्रम के ही संत ने उसे गर्भवती बना दिया था। जिसके बाद लोकलाज के भय से उस शिक्षिका ने आत्महत्या कर ली। इस घटना से संत समाज भी स्तब्ध था। संयोग से उसी समय हरिद्वार के एक टाकीज में फिल्म ‘सन्यासी’ लग गई। जिसमें संतों का ऐसा ही चरित्र दिखाया गया था। संतों को लगा कि शिक्षिका की आत्महत्या का गुस्सा कहीं सन्यासी फिल्म से संतों के खिलाफ न फूट पड़े। इसलिए संतों ने विरोध कर फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने दिया। यह पूरा वाक्या उस वक्त बहुत चर्चित रहा।
श्रवणनाथ नगर स्थित भाटिया भवन के पास एक कथित संत झाडफूंक के नाम पर महीनों पडोस की एक युवती का शोषण करता रहा। बाद में युवती को सुसाइड करना पडा। जब मामला खुला तो लोगों ने इस कथित संत की खूब आवभगत की व पूरे शहर में जुलूस निकाल कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया।
हरिद्वार में आश्रम संचालित करने वाले व यूपी से चुनकर संसद पहुंचने वाले एक ‘महाराज’ पर जब उन्हीं की दत्तक पुत्री ने व्याभिचार का घिनौना आरोप लगाया, तो पूरी धर्मनगरी अवाक रह गई थी!लेकिन महाराज क्योंकि महाराज था और सांसद भी इसलिए मामला दबा दिया गया।
भीमगौडा के पास विधवा महिलाओं को संरक्षण के नाम पर चल रहे आश्रम में जब विधवा विद्धया देवी ने अपने दो बच्चों के साथ जहर खाकर जान दी तो प्रथम दृष्टया किसी को भी इन मौतों का कारण समझ नहीं आया। बाद में पता चला कि विधवा से प्रेम करने वाला आश्रम का महंत एक दूसरी विधवा पर आसक्त हो गया था। मामला पुलिस में भी गया लेकिन क्योंकि विद्धया देवी का कोई पैरोकार नहीं था इसलिए मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
हरिद्वार नगरपालिका की राजनीति से जुड़े दो पिता-पुत्र संतों पर एक सेविका ने एक जैसे घिनौने आरोप लगा कर पूरे शहर को चौंका दिया था। यह मामला पुलिस तक पहुंचा। जमानतें भी हुई लेकिन पुलिस ने महज छेड़छाड़ का मामला बनाकर बड़े अपराध पर आवरण चढ़ा दिया।
विहिप की राजनीति से जुड़े व केंद्र में मंत्री रहे उत्तरी हरिद्वार के ही एक स्वामी पर उनकी शिष्या ने कमरे में बंद कर कई बार व्याभिचार करने के आरोप लगाए लेकिन मामला सुलटा दिया गया।
हरिद्वार का एक बाबा तो यूपी के सीमावर्ती जिले में अपनी ‘धांय’-‘धांय’ के लिए कुख्यात रहा है। लेकिन अब यह स्वयंभू व प्रातः स्मरणीय संत बना बैठा है। एक कालेज चला रहे संत ने तो अपना बिस्तरा ही महिला छात्रावास में लगा रखा था। जब शिकायत डीएम तक पहुंची तो उन्होंने इसे बाहर कराया। पिछले दिनों एक बड़े संत की मौत के बाद संतों के बीच मृतक संत की विरासत की मांग को लेकर पहुंची महिला तेजेंद्र कौर ने यह दावा कर कि उसके पेट में मृतक संत का बच्चा है, सभी संतों को सकते में डाल दिया। महिला इसको लेकर सभी तरह की जांच को भी तैयार थी। महिला ने यह भी दावा किया था कि अधिकांश संतों ने अपनी शिष्याओं से गुप्त विवाह रचाया हुआ है! हालांकि सभी संत ऐसे होंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता लेकिन ऐशो-आराम का भौतिकवादी जीवन जी रहे संतों की धर्म नगरी में भी कमी नहीं है।