रुड़की में पकड़ी गई सेक्स रैकेट सरगना हेमा रावल को ६ साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर भले ही भाजपा ने अपना दामन जलने से बचा लिया हो, लेकिन हेमा को भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी का विशेष आमंत्रित सदस्य किसने और क्यों बनाया, यदि इसकी तहकीकात की गई तो सेक्स रैकेट से जुड़े भाजपा के कुछ सफेदपोश नेताओं के चेहरे से भी नकाब उतर सकता है।
भाजपा के टीम जैन और नीरज शाक्य के बाद उत्तराखंड से भाजपा की प्रदेश स्तरीय नेत्री के सेक्स रैकेट में संलिप्तता के बाद लोग सोशल मीडिया में इस मामले को लेकर भाजपा की काफी टांगखिंचाई कर रहे हैं। एक व्यक्ति ने तो कमेंट में यहां लिख दिया कि अब तक भाजपा तीन सी (चाल, चरित्र, चेहरा) के सिद्धांत पर चलती थी। अब इसमें एक सी और जुड़ गया है।
गौरतलब है कि जब हेमा को विशे
ष आमंत्रित सदस्य बनाया गया था। उस समय रुड़की में भाजपा के कई नेताओं ने इसका मुखर विरोध किया था, किंतु उनकी एक नहीं सुनी गई।
यही नहीं वर्ष २००७ में भाजपा सरकार के दौरान भी हेमा रावल पर सेक्स रैकेट चलाने के आरोप लगे थे। क्या कारण है कि भाजपा ने उसी समय उसे निष्कासित नहीं किया। उस समय भी भाजपा के एक बड़े नेता ने अपने वर्चस्व का इस्तेमाल कर उसे बचा लिया था। इसमें पिछले साल दलबदल प्रकरण में चर्चित हुए एक बड़े केंद्रीय भाजपाई नेता की भी संदिग्धता बताई जा रही है। इसी महीने ३ जून को छेड़छाड़ के एक मामले में एक पीडि़ता की पैरवी करने पर भी हेमा रावल ने उस पर तेजाब फेंकने और जान से मारने की धमकी दी थी।
सेक्स रैकेट ही नहीं, बल्कि हेमा रावल ब्लैकमेल करके धन ऐंठने के मामले में भी खासी बदनाम रही है। खुद को एक पूर्व मुख्यमंत्री की भतीजी बताने वाली हेमा रावल पर यह भी आरोप है कि उसने रुड़की के पाडली गुर्जर गांव निवासी आलमगीर नाम के एक युवक से छेड़छाड़ के एक मामले में समझौते के लिए एक लाख रुपए भी वसूले। इस मामले में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ गंगनहर कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कराया है। आलमगीर पाडली के पूर्व ग्राम प्रधान बहरोज आलम का भतीजा है और आरएसएस की ओर से भाजपा की धर्मनिरपेक्ष छवि बनाने वाले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का सदस्य भी है।