पर्यटन की दिशा में एक और कदम।डर के आगे जीत है छात्रों का अनुभव। जोशियाड़ा झील में एनएसएस के 75 छात्रों को राफ्टिंग की ट्रेनिंग शुुरू।
गिरीश गैरोला//उत्तरकाशी
उत्तरकाशी जिले में खाली पड़ी जोशियाड़ा झील में नौकायन और राष्ट्रीय प्रतियोगिता के बाद अब उत्तरकाशी पीजी कॉलेज के एनएसएस के 75 छात्रों को राफ्टिंग का निशुल्क 5 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे नौजवान पीढ़ी को न सिर्फ स्पोर्ट्स से जुड़ने का मौका मिलेगा बल्कि स्व रोजगार की दिशा में भी एक नई पहल शुुुुरू होगी।
उत्तरकाशी नगर की मनेरी भाली जल विधुत परियोजना फेज दो की खाली पडी जोशियाड़ा झील को डीएम उत्तरकाशी के प्रयासों के बाद अब एक और दिशा में उड़ान भरने का मौका मिला है। एनएसएस की छात्रों के साथ उनके शिक्षकों का जल क्रीड़ा के लिए पानी मे उतारने का अनुभव डर के आगे जीत की कहावत को चरितार्थ करता है।
आपदा प्रबंधन के लिहाज से अथवा वाटर स्पोर्ट्स के लिहाज से गहरी झील में दूसरे को उतरते देखना एक अलग बात है किंतु खुद को पहली बार पानी मे उतारना भी एक रोमांचिक अनुभव है। घरों में मोबाइल और कंप्यूटर की दुनिया मे खोती जा रही आज की नौजवान पीढ़ी को फिजिकल फिटनेस के साथ पानी के रोमांच का अनुभव देख और सुनकर नही बल्कि पानी मे उतारने के बाद ही महसूस किया जा सकता है। तभी तो अपने मे खोए हुए नौजवान भी खुलकर इस रोमांच तथा थ्रिल का अनुभव कर रहे हैं। चारधाम यात्रा मार्ग पर गंगोत्री और यमनोत्री दो धामो को अपने मे समेटे उत्तरकाशी जनपद में इस तरह की कई अन्य झील न सिर्फ राजस्व जुटाने का काम करेंगी बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी।
पीजी कॉलेज में एनएसएस अधिकारी डॉ जय लक्ष्मी रावत और डॉ विनीता कोहली ने बताया कि 7 दिवसीय एनएसएस कार्यक्रम में 5 दिन की राफ्टिंग प्रशिक्षण के बाद छात्रों को खुले वातावरण में अपनी कला दिखाने का मौका मिल रहा है और क्लास की बंद कमरे से बाहर भी कुछ नया सीखने को मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि वे खुद पहली बार पानी मे उतरी है और इससे पानी के प्रति उनका डर भी कम हुआ है इससे पहले राफ्टिंग और कयाकिंग करते हुए दूसरे को देखना अच्छा लगता था किंतु आज खुद पानी मे उतारने के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और जो रोमांच मिला उसे शब्दों मे बयान नही किया जा सकता।
एनएसएस की छात्रा काजल सोनी और छात्र आकाश भट्ट ने बताया कि पानी मे पहली बार उतरने में डर तो लगता हूँ किन्तु जल्दी ये डर दूर भी हो जाता है। पानी के डर को समाप्त करने के लिए इस तरह की एक्टिविटी से न सिर्फ नौजवानों को फिट रहने का मौका मिलेगा बल्कि पर्यटन से रोजगार की संभावना भी दिखती है। उन्होंने खाली पड़ी इस झील में इस अनूठे प्रयोग के लिए जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया।
पीजी कॉलेज के dr दिवाकर बुद्धा ने बताया कि एनएसएस की इस ट्रेनिंग के बाद आपदाग्रस्त जिले में नौजवान आपदा प्रबंधन के साथ रोमांच के खेल के लिए तैयार हो सकेंगे।