गंगोत्री यमुनोत्री समेत देश के पुरातन क्षेत्र में विशेष 100 स्थानों को मिला आइकोनिक प्लेस का दर्जा। सीएसआर मद से होगा सौंदर्यीकरण । इको सेंसटिव ज़ोन कर्तब्यों के पालन का विषय है – प्रकाश पंत काबीना मंत्री उत्तराखंड।
गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी के गंगोत्री और यमुनोत्री तीर्थ धाम समेत पूरे देश में पुरातन क्षेत्र में विशेष स्थान लिए 100 क्षेत्रों को विशेष आइकोनिक प्लेसेस का दर्जा केंद्र सरकार द्वारा दिया गया है । जिसमे उत्तराखंड के भी 10 स्थल चयनित किये गए है । जिनमे ओएनजीसी द्वारा सीएसआर मद में सौंदर्यीकरण के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए प्रचारित प्रसारित कर कार्य किए जाएंगे। गंगोत्री से लेकर उत्तरकाशी तक 100 किमी क्षेत्र में इको सेंसिटिव जोन लागू है ऐसे में गंगोत्री में सौंदर्यीकरण कैसे होगा इस सवाल के जवाब में कबीना मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि इको सेंसटिव ज़ोन एक अलग विषय है उन्होंने कहा यह कर्तव्य के अनुपालन का विषय है। इसके बावजूद इस मसले को सुलझाने के प्रयास ऊपरी स्तर पर चल रहै हैं , ताकि स्थानीय लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।
उत्तरकाशी जनपद में बंद पड़ी जल विद्युत परियोजनाएं फिर से शुरू हो पाएंगे या नहीं इस प्रश्न के जवाब में प्रकाश पंत ने कहा कि इस बारे में वार्ता चल रही है और कोशिश की जाएगी गंगा की अविरलता निर्मलता भी बनी रहे और योजनाओं के निर्माण कार्य में बाधा भी न पहुंचे। गौरतलब है प्रकाश पंत के साथ ऊत्तरकाशी पहुची केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने पंचेश्वर बांध परियोजना और लखवाड़ परियोजना का जिक्र करते हुए अपनी सरकार की पीठ थपथपाई थी। वही 2017 के विधानसभा चुनाव के चुनाव के घोषणा पत्र में BJP ने गंगोत्री विधानसभा में बंद पड़ी जल विद्युत परियोजनाओं को फिर से खुलवाने का वादा किया था। चुनाव के वक्त गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत के चुनाव प्रचार में ऊत्तरकाशी पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंच से जल विद्युत परियोजनाओं के दोबारा शुरू होने की का भरोसा दिया था।
भले ही विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है किंतु लोकसभा चुनाव सर पर हैं ऐसे में देखना है ऑल वेदर रोड के कांसेप्ट के साथ क्या केंद्र सरकार 600 मेगावाट कि लोहारीनाग -पाला और पाला -मनेरी जल विद्युत परियोजनाओं का स्वरूप घटाकर फिर से शुरू करवाने में सफल रहती है या फिर यह एक चुनावी शिगूफा साबित होता है।