सचिवालय संघ ने बहुत कम समय में अपनी आक्रामक कार्यशैली से कई सालों से लंबित पड़ी मांगों को मनवाने में सफलता हासिल की है।
पर्वतजन ब्यूरो
उत्तराखंड सचिवालय संघ के पदाधिकारियों का जलवा आजकल सचिवालय कार्मिकों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
आक्रामक तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी पिछले दो सालों में अपनी अधिकांश मांगें मनवाने में सफल भी रहे हैं। सचिवालय संघ के वर्तमान पदाधिकारियों ने जब शपथ ली थी तो शुरुआत में अपनी आक्रामक कार्यशैली के कारण सचिवालय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी उनकी काफी नोक-झोंक हुई।
पदभार संभालने के कुछ दिनों बाद ही सचिवालय संघ के पदाधिकारी सचिवालय की मुख्य बिल्डिंग के भूतल में सचिव स्तरीय कमरे को संघ भवन बनाने को लेकर सचिवालय प्रशासन के सचिव से भिड़ गए। हुआ यूं कि इस कमरे में पहले अपर सचिव राज्य संपत्ति विनय शंकर पांडे बैठा करते थे। जैसे ही वह जिलाधिकारी उत्तरकाशी के पद पर स्थानांतरित हुए, सचिवालय संघ के पदाधिकारियों ने इस कमरे को अपनी यूनियन का ऑफिस बना दिया। संघ के ये तेवर तत्कालीन सचिव सचिवालय प्रशासन आरके सुधांशु को नागवार गुजरे और उन्होंने संघ के पदाधिकारियों के खिलाफ जबरन कमरा कब्जाने को लेकर एफआईआर तक दर्ज करा डाली, किंतु संघ के पदाधिकारियों ने भ्रष्टाचार के कई आरोपों में घिरे आरके सुधांशु को तत्काल शीशे में उतार लिया और सुधांशु ने समझौता करने में ही भलाई समझी।
वर्ष २०१६ में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जनता में लोकप्रियता प्राप्त करने की दृष्टि से सचिवालय के फाइव डे वीक को सिक्स डे वीक में बदलने का फरमान जारी किया तो सचिवालय संघ के पदाधिकारियों ने तर्कों और तथ्यों के साथ उन्हें आईना दिखाने में कोई कोर कसर न रखी। सचिवालय संघ के पदाधिकारियों ने सरकार को साफ संदेश दे दिया कि वे सिक्स डे वीक का फरमान मानने को राजी हैं, बशर्ते वे भी फिर 5 बजे के बाद सचिवालय में एक मिनट के लिए भी नहीं रुकेंगे। सरकार को मजबूरन सिक्स डे वीक का फरमान वापस लेना पड़ा।
कुछ समय पहले मुख्य सचिव ने सचिवालय में सचिव तथा उससे ऊपर लेबल के अफसरों को बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी लगाने की व्यवस्था से मुक्त रखते हुए इससे नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य कर दी। इस भेदभाव के खिलाफ सचिवालय संघ के पदाधिकारी फिर से मुखर हो गए और उन्होंने बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी लगाने की व्यवस्था मुख्य सचिव से लेकर सभी अफसरों के लिए अनिवार्य करने की मांग कर डाली। बैकफुट पर आते हुए सचिवालय प्रशासन को सभी अफसरों के लिए बायोमेट्रिक अनिवार्य करने की मांग माननी पड़ी।
उत्तराखंड के बहुचर्चित अफसर मृत्युंजय मिश्रा को जब अपर स्थानिक आयुक्त बनाते हुए सचिवालय में कमरा आवंटित किया जाने लगा तो सचिवालय संघ फिर से विरोध में मुखर हो गया और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश आदि अन्य अफसरों को बैकफुट पर आते हुए मृत्युंजय मिश्रा का मोह त्यागना पड़ा।
इसी तरह जब विधानसभा के कार्मिक नृपेंद्र तिवारी को पिछली सरकार विचलन के माध्यम से सेवा स्थानांतरण के माध्यम से सचिवालय में ले आई तो संघ ने भी अपनी ताकत का परिचय देते हुए प्रमुख सचिव के माध्यम से कोर्ट में उनकी नई तैनाती को गलत ठहराते हुए उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। ऐसा नहीं है कि सचिवालय संघ अपनी मांगों के संबंध में ही मुखर रहता हो, संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी और महासचिव प्रदीप पपनै सचिवालय में कार्य संस्कृति को बेहतर करने तथा कर्मचारियों की आचार संहिता को दुरुस्त करने के प्रति भी सजग रहते हैं। पपनै कहते हैं कि सचिवालय में कर्मचारी अधिकारियों को समय-समय पर सचिवालय के कामकाज को प्रभावी तरीके से संचालित करने का प्रशिक्षण दिया जाना बेहद जरूरी है।
कर्मचारी अधिकारियों को आवास की व्यवस्था करना हो अथवा उनके वेतनमान अथवा पदोन्नति में विभिन्न समस्याओं का समाधान करना हो तो सचिवालय संघ काफी सक्रियता से पहल करता है। पूर्व में सचिवालय सेवा संवर्ग के ढांचे का पुनर्गठन करने के बाद समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी के पदों में कटौती कर दी गई थी। सचिवालय संघ ने न सिर्फ इन पदों को पुनर्जीवित करने के लिए सचिवालय प्रशासन पर दबाव डाला, बल्कि चतुर्थ श्रेणी के पदों को भी पुनर्जीवित करने के लिए उच्चाधिकारियों को दबाव में लिया है।
इसके अलावा विभिन्न विभागों से संविलयित कार्मिकों की पूर्व सेवा का लाभ जोड़े जाने की लड़ाई हो अथवा गैर राज्य सिविल सेवा के अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा में लिए जाने की मांग हो या परिचारकों को कंप्यूटर सहायक के पदों पर पदोन्नति का मामला हो, इन मसलों को सचिवालय संघ ने न सिर्फ प्रमुखता से उठाया, बल्कि इन मांगों को मनवाने में भी सफलता हासिल की।
इसके अलावा सचिवालय संघ सचिवालय में स्वास्थ्य और कैंटीन सुविधाओं को भी उच्चीकृत करवाने में भी सफल रहा है।
अध्यक्ष दीपक जोशी संघ की सफलता का श्रेय अपनी टीम को देते हुए कहते हैं कि संघ की एकजुटता की वजह से ही वे अपनी मांगें मनवाने में सफल रहे हैं।