भूपेंद्र कुमार
यह लीजिए जौलीग्रांट के हिमालयन अस्पताल में देहरादून के नेहरू कॉलोनी निवासी नेहा डबराल की भी डेंगू से मौत हो गई। वह मात्र 18 वर्ष की थीं। ऋषिकेश में भी एक महिला अधिवक्ता की डेंगू से मौत हो गई। तेज बुखार के कारण जब ऋषिकेश में इलाज नहीं हुआ तो उन्हें दिल्ली ले जाया गया, वहां एक निजी अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
पूरे राज्य में डेंगू का प्रकोप बुरी तरह से फैला हुआ है सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल फुल हो चुके हैं और कई अस्पताल तो अब डेंगू के मरीजों को ले ही नहीं रहे हैं, किंतु सरकार है कि डेंगू के आंकड़ों को लेकर छह-सात सैकड़ा पर ही अटकी हुई है। जबकि हकीकत यह है कि राजधानी के एकमात्र निजी कैलाश अस्पताल में ही डेंगू पीड़ितों का आंकड़ा 500 तक पहुंच चुका है।
दून अस्पताल, कोरोनेशन से लेकर महंत इंद्रेश, मैक्स सिनर्जी से लेकर तमाम झोलाछाप डॉक्टर भी हर रोज सैकड़ों डेंगू के मरीजों का इलाज कर रहे हैं किंतु इसके बावजूद हालात यह है कि सरकार जानबूझकर डेंगू के आंकड़ों को छुपा रही है और सरकार की तैयारियां फाइल से उतार कर जमीन पर आने को तैयार ही नहीं है। किंतु राज्य भर में फैले इस डेंगू के मामले में न तो जनता कुछ कहने को तैयार हैं और ना ही विपक्षी दल इस बात को लेकर सरकार से कोई समाधान निकालने का दबाव बना रहे हैं।
जबकि उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन का भी यही कहना है कि सरकार को डेंगू को लेकर जल्दी से जल्दी श्वेत पत्र जारी करते हुए इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।