उत्तराखंड में लंबे समय से पौड़ी का घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज भ्रष्टाचार में पूरी तरह जकड़ा हुआ है और इसके लिए सीधे-सीधे जिम्मेदार हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री मिस्टर जीरो टोलरेंस त्रिवेंद्र सिंह रावत ही हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीधी जिम्मेदारी इसलिए है क्योंकि वह तकनीकी शिक्षा के विभागीय मंत्री हैं।
उनकी जिम्मेदारी इसलिए भी है क्योंकि इस कॉलेज में भ्रष्टाचार के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा ओम प्रकाश को उनका सीधा-सीधा संरक्षण है ।
और मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी इसलिए भी है क्योंकि एक दर्जन से भी अधिक बार तो पर्वतजन ही इस मामले में खबरें प्रकाशित कर चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री ने उस तरफ से जानबूझकर आंखें मींची हुई हैं।
मुख्यमंत्री की सीधी सीधी जिम्मेदारी इसलिए भी है क्योंकि उनके ही गृह जनपद के और उनकी ही पार्टी के कई बड़े नेता समय-समय पर मुख्यमंत्री को घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री से दस्तावेजों सहित बात कर चुके हैं लेकिन मुख्यमंत्री ने कोई एक्शन नहीं लिया, इसलिए विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री होने के नाते अब सीधे सीधे जिम्मेदारी इस भ्रष्टाचार की उन्हीं के कंधों पर है।
सीएम साहब फुलारा का दोष क्या है ! रिश्वत नही दी बस ??
पर्वतजन आज और एक उदाहरण देकर आया है घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में सुरेश चंद्र फुलारा की असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयन हो गया था। बोर्ड ऑफ गवर्नर(बीओजी) ने भी इनका सलेक्शन फाइनल कर दिया था लेकिन इन्हें घुड़दौड़ इंजीनियरिंग कॉलेज भी जॉइनिंग नहीं दी गई, बल्कि उनकी जगह ऐसे व्यक्ति को जॉइनिंग दे दी गई जो चयनित भी नहीं हुआ था और उसे अनुबंध के आधार पर ज्वाइन करा दिया गया क्योंकि वहां पूरब का है और उसे अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का सीधा सीधा संरक्षण है।
हालांकि प्रत्यक्ष लेनदेन के कोई प्रमाण नहीं होते लेकिन यह एक खुला सत्य है कि घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज भी 20- 20लाख रुपए देकर ही सलेक्शन हुआ है और सुरेश चंद्र फुलारा का चयन होने के बावजूद उसे नियुक्ति इसलिए नहीं दी गई क्योंकि उसने रिश्वतखोरों को लाखों रुपए रिश्वत नहीं दी।
उसके पिता ने सोचा कि वह तो मुख्यमंत्री को भली-भांति जानते हैं और मुख्यमंत्री जी उनके साथ कुछ भी गलत नहीं होने देंगे। इनकी नियुक्ति के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी पत्र लिखा लेकिन वह भी रद्दी की टोकरी में गया।
सुरेश चंद्र फुलारा बायोटेक से पी.एच.डी. है। उनका चयन अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर घुड़दौड़ी जी.पंत इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया था परन्तु वहां के प्रिंसिपल एम.पी.एस. चौहान एवं प्लेसमेंट एवं ट्रेनिंग ऑफिसर संदीप कुमार ने निजी स्वार्थ की पूर्ति न होने के कारण नियुक्ति नही होने दी। इसमें ए. सी.एस. ओम प्रकाश की उनको शहः रही है। उन व्यक्तियों को अनुबंध पर रख लिया जो साक्षात्कार में सफल नहीं हो पाए थे। इनमें से ही किसी की नियुक्ति वह करना चाहते हैं जो पूरब का है किंतु वह चयनित नही पाया तो उसे अनुबंध पर बिना औपचारिकता पूर्ण किए नियुक्त कर दिया।
जिस व्यक्ति की नियुक्ति ओम प्रकाश एवं संस्थान का प्रबंधन करना चाहता है, उस व्यक्ति का नाम सुमित कुमार राय है। जो साक्षात्कार में सफल नही हुआ है। यह व्यक्ति ओम प्रकाश एवं संदीप कुमार का नजदीकी है। इसे 2012 से अनुबंध पर रखा है। अनुबंध पर जितने लोग रखे गए है वह सब यू.जी.सी. द्वारा 18 सितंबर 2910 को गजट में प्रकाशित नोटिफिकेशन के क्लॉज़ 13.1 का पालन करने के बाद नही रखे गए हैं। न कोई परीक्षा ली गई और न ही साक्षात्कार लिया गया। पूर्व स्वीकृति भी नही ली गई। स्वीकृति की प्रत्याशा में अनुबंध पर रख लिया गया। जो नियमों के विरुद्ध है। जितने भी अनुबंध पर रखे गए हैं वह दिनांक 27 मई 2018 को लिए गए साक्षात्कार में सफल नही हुए हैं। ऐसे लोगों को अनुबन्ध पर रखना सीधे सीधे भ्रष्टाचार कहलाता है।
इनके पिता गोविंद फुलारा सामाजिक संस्था पर्वतीय समाजोत्थान परिषद लखनऊ के अध्यक्ष हैं। जिला अल्मोड़ा ऊत्तराखण्ड के अंतर्गत द्वाराहाट ब्लॉक के ग्राम गनोली का मूल निवासी हैं। उ. प्र. आवास एवं विकास परिषद से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हैं।
वह कहते हैं कि वह “चार बार सी.एम. त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मिल चुके हैं। उन्हें प्रत्यावेदन भी दिए। वह आश्वासन देते रहे और ओम प्रकाश के इशारों पर नाचते रहे।”
अब आप ही बताइए इस राज्य मे यह कैसा जीरो टोलरेंस चल रहा है। आज ओमप्रकाश के इशारों पर नाच भले ही त्रिवेंद्र सिंह रावत रहे हैं लेकिन यह तय है कि इसका अभिशाप उत्तराखंड को सदियों तक भोगना पड़ेगा।