कांग्रेस को स्टिंग प्रकरण में उलझा कर प्रदेश में तख्तापलट के नायक बनकर उभरे हरक सिंह रावत के खिलाफ जब सीबीआई ने 23अक्टूबर को मुकदमा दर्ज किया था तो भाजपा ने सीधे-सीधे अपना पल्ला झाड़ दिया था। अजय भट्ट ने तो यहां तक कह दिया था कि कानून अपना काम करेगा।
उत्तराखंड में तख्तापलट करने के बाद भाजपा की सरकार लाने में अहम भूमिका निभाने वाले हरक सिंह रावत ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भाजपा उनसे इस तरह से पल्ला छुड़ा लेगी।
अब हरक सिंह ने हरीश रावत के खिलाफ स्टिंग वाली याचिका वापस लेने का मन बना कर भाजपा को ही झटके का रिटर्न गिफ्ट दे दिया है। अब भाजपा से न निगलते बन रहा है और ना उगलते।
हरक सिंह रावत अब हरीश रावत के खिलाफ स्टिंग का मुकदमा वापस लेने जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज मुकदमा अब काफी हल्का पड़ सकता है क्योंकि सीबीआई से जांच कराने की याचिका वापस लेने वाले हरक सिंह रावत का कहना है कि याचिका वापस लेने के बाद यह केस अपने आप खत्म हो जाएगा।
हरक सिंह अब इसे महज एक राजनीतिक लड़ाई बता रहे हैं। जिसका “औचित्य अब समय के साथ खत्म हो गया है।”
हालांकि कानूनी जानकारों का यह कहना है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद याचिका वापस लेने पर भी मुकदमे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि अब मुकदमा राज्य बनाम हरीश रावत भी हो गया है।
वर्ष 2016 में हरीश रावत का स्टिंग होने के बाद तत्कालीन मंत्री हरक सिंह ने इस पर सीबीआई जांच की मांग की थी।
इस मामले में अहम मोड़ तब आया जब 23 अक्टूबर 2019 को सीबीआई ने इस मामले में हरीश रावत के साथ-साथ हरक सिंह रावत और स्टिंग करने वाले पत्रकार उमेश शर्मा को भी लपेट लिया। खुद को भी घिरता देख हरक सिंह रावत ने याचिका वापस लेने का विचार बना लिया।
स्टिंग प्रकरण में हरीश रावत के साथ-साथ चुनौती बने पत्रकार उमेश शर्मा और हरक सिंह रावत के भी निपट जाने के कयास लगा रही भाजपा की पेशानी पर अब बल पड़ गए हैं।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री खजान दास ने भी इस पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि हरक सिंह रावत ऐसा कैसे कर सकते हैं !
अब भाजपा को इस बात का जवाब देना भारी पड़ सकता है कि यदि यह मात्र एक राजनीतिक लड़ाई थी तो फिर इस पर जीरो टोलरेंस का भारी भरकम मुलम्मा चढ़ा कर जनता को क्यों गुमराह किया गया !