कृष्णा बिष्ट
समस्त पाठकों को याद होगा कि पर्वतजन ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में हुई फर्जी नियुक्तियों की खबर को दो बार प्रमुखता से छापा था, लेकिन सरकार ने इस फर्जी नियुक्ति प्रकरण पर कोई कार्यवाही नहीं की।
मुख्यमंत्री स्वयं आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री भी हैं इसलिये ये प्रकरण लिखित रूप से मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री का इस फर्जी नियुक्ति घोटाले में कोई कार्यवाही ना करना सरकार और मुख्यमंत्री की जीरो टोलेरेन्स की छवि पर कई सवाल खड़े करता है।
हैरानी की बात यह है कि इन फर्जी नियुक्त किये गये लोगों को नियुक्त करने का अनुमोदन स्वयं मुख्यमंत्री से लिया गया है। मुख्यमंत्री से अनुमोदन प्राप्त करते समय यह छुपाया गया कि इसमें अयोग्य लोगों का भी चयन किया गया है, इसके साथ ही मुख्यमंत्री से यह भी छुपाया गया कि शासी निकाय के निर्णय के अनुसार पहले से कार्यरत किसी भी कर्मचारी को चयन में वरीयता नहीं दी गयी है। मुख्यमंत्री से यह भी छुपाया गया कि इस पूरी चयन प्रक्रिया में भर्ती नियमों का उलनघन करके अधिकारियों ने केवल अपने चहेतों का ही चयन किया है। फर्जी नियुक्ति करने वाले अधिकारी इन अवैध नियुक्तियों को अब तक बचाने का पूरा प्रयास करते रहे लेकिन अब स्वयं इन अधिकारियों पर हाईकोर्ट की गाज गिरनी लगभग तय है। आपदा प्रबंधन विभाग के एक कर्मचारी की याचिका पर मुख्य न्यायधीश श्री रमेश रंगनाथन की अदालत में इस प्रकरण की सुनवायी हुयी, मुख्य न्यायधीश ने प्रकरण को बेहद गम्भीर मानते हुये दुसरे पक्ष से जवाब तलब करते हुये उन्हें केवल 10 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने का समय दिया और 19 नवंबर को अगली सुनवायी निर्धारित की है। इस याचिका में मुख्यसचिव जो कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के CEO हैं समेत आपदा प्रबंधन विभाग के समस्त अधिकारियों और समस्त फर्जी नियुक्त हुये लोगों को पक्षकार बनाया गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के इन अधिकारियों पर पहले भी फर्जी नियुक्तियां करने का आरोप वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान लगा चुके हैं और जुगरान ने भी पहले हुयी फर्जी नियुक्तियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया हुआ है, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को शायद न्यायालय का डर नहीं है इसिलिए दोबारा फर्जी नियुक्तियां कर दी हैं। फर्जी नियुक्तियां करके ये अधिकारी सरकार और मुख्यमंत्री की छवि को पलीता लगा रहे हैं, और स्वयं विभागीय मंत्री होने के बावजूद मुख्यमंत्री इसप्रकार की फर्जी नियुक्तियों पर कोई दंडात्मक कार्यवाही ना करके अपनी फजीहत करवा रहे हैं। मुख्यमंत्री के विभाग में हुये इस फर्जी नियुक्ति घोटाले के दोषी अधिकारियों पर मुख्यमंत्री भले ही कोई कार्यवाही ना करें लेकिन अदालत में इन दोषी अधिकारियों का बचना नामुमकिन है।