आशू भल्ला
जिन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाए। आज सुनील रावत जी से मिलना हुआ।
एक साल पहले कैसे एक हट्टा कट्ठा नौजवान सुनील रावत कैसे हाथ पैर विहीन हो गया, किसने सोचा था। कोटद्वार निवासी सुनील के पैर के अंगूठे एक घाव नासूर बन गया, फिर एक पैर काटा, फिर इंफेक्शन की वजह से दूसरा फिर एक हाथ फिर दूसरा हाथ, उफ्फ कितना खौफनाक मंजर होगा। उन बच्चों के लिए जिनके पिता उनके सामने हर चीज के लिए दूसरों पर मोहताज हैं। सुनील भाई के दो बच्चे जो कि कक्षा 5 और 6 में पढ़ते हैं, पिछले साल जब उनके पैर का दर्द बढ़ा, उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया, लेकिन डॉक्टर एक महीने की छुट्टी चला गया। फिर किसी ने उनका केस हाथ मे ही नहीं लिया। परिणाम आपके सामने है। दिल्ली में इलाज करा रहे सुनील अब कोटद्वार आ चुके हैं। उनकी उत्तराखंड सरकार से गुजारिश है कि उनकी विकलांगता पेंशन लगाई जाए। उन्होंने अपने समस्त कागज भी दिलवाए, लेकिन सरकारें कब कहाँ इतनी आसानी से सुनती हैं। उनके परिवारजनों ने हंस फाउंडेशन में भी फरियाद लगाई, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया।
सुनील को कोई सरकारी मदद मिल जाये उनके बच्चे पढ़ सकें उनका परिवार चल सके। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं।
उत्तराखंड सरकार से गुजारिश है कि इस परिवार की मदद करें।