नीरज उत्तराखण्डी
मोरी विकासखण्ड में मोरी-नैटवाड़ सड़क मार्ग पर टौंस नदी से सटी वन विभाग की लीज भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण का खेल चल रहा है। कृषि कार्य के लिए दी गई लीज भूमि पर अब ईंट व सीमेंट से बनी बहुमंजिली इमारतें खड़ी की जा रही हैं।
अतिक्रमणकारियों के हौसले इस कदर बुलंद हंै कि वे सड़क किनारे खाली पड़ी लोक निर्माण विभाग की जमीन भी नहीं छोड़ रहे हैं। मोरी-नैटवाड़ रोड़ पर अतिक्रमण कर दर्जनों टीन व लकड़ी के खोखों सहित पक्के मकानों का अवैध निर्माण कर होटल व दुकानें चलाई जा रही है। यही नहीं मोरी वन निकासी चौकी के पास भी वन विभाग की नाक के नीचे लीज भूमि की आड़ में अवैध निर्माण कर होटल व दुकानों का संचालन किया जा रहा हैें। मोरी ब्लाक मुख्यालय के समीप उपला नाशना तपड़ में भी वन विभाग की भूमि पर अवैध कब्जा कर दर्जनों कच्चे व पक्के मकान बन गये हैं तथा वन भूमि आवासीय कालोनी में तब्दील हो गयी है। मोरी रा.इ.का. से सटी वन विभाग की लीज भूमि पर दर्जनों बहुमंजिलें पक्के आवासीय भवनों तथा मोरी-नानई रोड में सड़क किनारे गैर कानूनी रूप से लकड़ी के खोखे भविष्य में पक्के निर्माण की नीयत से बनाए गए हंै।
सूत्रों मिली जानकारी के अनुसार 30 वर्ष पूर्व वन विभाग ने तीन काश्तकारों को खेती करने के लिए वन भूमि को लीज पर दिया गया, लेकिन विभाग ने विगत 30 वर्षों से लीज पर दी गई वन भूमि का नवीनीकरण नहीं किया। जिसका नतीजा यह हुआ कि अब काश्तकार लीज भूमि पर अपना मालिकाना हक मानकर उसे बाहरी लोगों को बेचकर आर्थिक हित भी साध रहे हंै।
लीज भूमि पर कृषि कार्य तो नहीं हो रहे, लेकिन वन भूमि पर अतिक्रमण कर आवासीय सुख भोगने वालों के सपने जरूर पूरे हो रहे हैं। लीज भूमि के नियमों को ताक पर रख कर वन भूमि पर अवैध निर्माण युद्धस्तर पर जारी है। न तो वन विभाग इस पर संजीदा है और न ही लोक निर्माण विभाग सचेत है। जिसका भू माफिया पूरा लाभ उठा रहे हैं। एक ओर जहां मोरी में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के निर्माण के लिए जमीन न मिलने से ट्राइसेम के टीन शैड में संचालित किया जा रहा है। तथा मोरी बाजार में सुलभ शौचालय निर्माण के लिए जमीन देने से वन विभाग नियमों अधिनियमों का हवाला देकर आनाकानी कर रहा है, वहीं भू-माफिया वन विभाग की जमीन पर लीजधारकों को प्रलोभन देकर अवैध कब्जा कर अपने सुखद भविष्य के लिए आलीशान कोठियों का निर्माण कर आम जनता के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं नानई गांव के अनुसूचित जाति के वृद्ध असहाय व्यक्ति ने जनता मिलन कार्यक्रम में पहुंचकर जिला अधिकारी आशीष कुमार श्रीवास्तव से उसकी जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा किये जाने की शिकायत कर अपनी पीड़ा का इजहार किया।
जिला अधिकारी ने मामले की गंभीरता का संज्ञान देते हुए तहसील प्रशासन को तीन के भीतर जांच करने के सख्त निर्देश दिए। तीन दिन के भीतर मामले से जिला प्रशासन को अवगत कराने का आदेश भी दिया। प्रशासन यदि ऐसे प्रकरणों की जिम्मेदारी के साथ निष्पक्ष जांच करता तो और भी कई मामले उजागर हो सकतें है।
हिमाचल प्रदेश में जहां इन दिनों हाईकोर्ट के आदेश के पालन पर वन भूमि व राजस्व भूमि पर किये गये अवैध कब्जा कर लगाये गये सेब के बगीचों व अवैध रूप से खड़ी की गई आलीशान कोठियों पर आरियां व बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण से मुक्त करवायें जाने का अभियान चल रहा है। वहीं उतराखण्ड में वन व राजस्व भूमि पर अतिक्रमण का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
मोरी ब्लाक के आराकोट बंगाण क्षेत्र में नापभूमि की आड़ में सरकारी भूमि पर कब्जा करके व्यापक पैमाने पर जंगल से सटे क्षेत्र मे सेव के बगीचों का विस्तार किया गया है। जिसकी पुष्टि तहसील से प्राप्त अभिलेखों से होती है। मोरी ब्लाक में 72 अवैध कब्जाधारकों के पीपीई एक्ट में चालान किये गये है। कई अवैध कब्जाधारकों के मामले न्यायालय में विचाराधीन है। कुछ को न्यायालय ने बेदखली के आदेश भी दिये बावजूद इसके कब्जाधारक आदेश को कर अभी भी कब्जा छोड़ को तैयार नहीं है।