जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और टिहरी के जिलाधिकारी ही फेक न्यूज़ फैलाने लगे वह भी बाकायदा सरकारी दस्तावेजों में तो फिर किस पर कार्यवाही की जाएगी जाहिर है कि यह खुन्नस किसी आम आदमी अथवा इनकी पोल खोलने वाले किसी पत्रकार पर ही निकाली जाएगी।
सीएम की वीडियो: पंजाब का गुड वर्क देहरादून मोहल्ले का बता कर चिपकाया ( सुनिए डेढ मिनट के बाद)
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कल पंजाब की एक वीडियो को उत्तराखंड का वीडियो बता कर खूब वाहवाही लूटी यह वीडियो पंजाब की एक गली में स्वच्छता कार्य में लगी हुई है पर्यावरण मित्र पर लोगों द्वारा फूल बरसाने और नोटों की माला पहनाने को लेकर के बना है किंतु उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी फेसबुक में बताया कि यह वीडियो उत्तराखंड मे देहरादून के एक मोहल्ले का है।
सीएम की पोस्ट : पंजाब के वीडियो को बताया देहरादून का
सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का सूचना तंत्र एलआईयू मीडिया मैनेजर विजिलेंस इंटेलिजेंस क्या इतनी कमजोर हो गई है की मुख्यमंत्री इस तरह का झूठ जनता को परोस रहे हैं और जब इतना बड़ा तंत्र होने के बाद मुख्यमंत्री एक झूठ को परोस रहे हैं और उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं हो रही है तो अहम सवाल यह है कि दूसरे प्रदेश की एक मॉक ड्रिल को ऋषिकेश का बताकर फॉरवर्ड करने वाले उस व्यक्ति का क्या दोष है जिस पर पिछले दिनों मुकदमा दर्ज कर दिया गया
जिलाधिकारी टिहरी ने एक व्यक्ति को बता डाला कोरोना संक्रमित
टिहरी के जिलाधिकारी डॉ वी षणमुगम ने भी कल 1 अप्रैल को टिहरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जाखणीधार के उप जिला अधिकारी को पत्र लिखकर कहा कि चंडीगढ़ से अपने गांव आए हुए एक व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित है और यह जाखणीधार के गांव का रहने वाला है। डीएम ने उक्त के संबंध में तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा। डीएम को इसकी जानकारी कोविड-19 के नोडल ऑफिसर ने दी थी।
डीएम टिहरी का पत्र
अब भला बताइए बिना जांच रिपोर्ट आए हुए उस व्यक्ति को कैसे कोरोना संक्रमित बता दिया गया। कोरोना संदिग्ध बताया जाता तो चलता। और यह पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दिया गया
अब यदि इसको फेक न्यूज़ के दायरे में न बताया जाए तो क्या कहा जाए !
जाहिर है कि जिला अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं होगी। इसके विपरीत पिछले दिनों देहरादून में डोईवाला के एक वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ सिर्फ इस बात पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया था कि उन्होंने अपने न्यूज़ पोर्टल पर लिखा था कि डोईवाला की एक युवती कोरोना संदिग्ध है। जबकि इसकी पुष्टि एलआईयू ने भी की थी और उससे एक दिन पहले एक दैनिक अखबार ने भी इस खबर को पब्लिश किया था।
इसके अलावा कोटद्वार में कोरोना वायरस के खिलाफ शासन प्रशासन की हीला हवाली को लेकर जब एक वरिष्ठ पत्रकार ने फेसबुक पर टिप्पणी कर दी तो उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
अब बताइए कि जिन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमित होने की जानकारी दी उन पर कोई कार्यवाही नहीं जिन्होंने पंजाब की वीडियो को उत्तराखंड का बता कर वाहवाही लूटी उन पर कोई कार्यवाही नहीं और जिन्होंने कोरोनावायरस खिलाफ जनहित में सद्भाव पूर्वक लोगों को आगाह किया उनके खिलाफ दन से मुकदमा दर्ज हो गया।
अब सरकार ने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए एक पूरा सर्कुलर निकाला है जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में सूचना सचिव दिलीप जावलकर ने आदेश जारी किया है कि फेक न्यूज़ देने पर आईटी एक्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के अनुपालन मे सचिव के निर्देश
गलत जानकारी सोशल मीडिया में दिए जाने पर उन्होंने जिला प्रशासन को प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
फिलहाल सभी को आज समझ लेना चाहिए कि यदि सीएम और डीएम से गलती हो तो वह मानवीय भूल होती है तथा यदि आम जनता या पत्रकार ने कुछ भी ऐसा किया तो कान खोलकर सुन लें, वह ब्लंडर मिस्टेक मानी जाएगी और भले ही आजीवन कैदी आजकल कोरोना के चलते जेल से छोड़े जा रहे हों, आप लोगों को जेल में जाने में तनिक भी देर नहीं लगेगी।