कृष्णा बिष्ट
यह केवल उत्तराखंड की जीरो टोलरेंस की सरकार में ही संभव है कि डेढ करोड रूपये का गबन के आरोप में जिस कंपनी के खिलाफ जांच बिठाई गई है, उसको सेनेटाइजर बनाने का लाइसेंस भी दिया गया है।
जीरो टालरेंस के मालिक सीएम त्रिवेंद्र के विभाग का बुरा हाल है।
इसमे एक फर्ज़ीवाड़ा और हुआ केंद्र ने कहा निर्माण करने वालों को लाइसेंस दें, जबकि यहां बॉटलिंग यानी भराई करने वाले को दिया गया।
कैसे दिया ठेका !
इतना ही नही फर्ज़ीवाड़ा और भी हुआ। इसका तो ड्रग्स का लाइसेंस था ही नही। सीधे 30 मार्च को आनन-फानन मे लाइसेंस दिया भी कैसे ! जब लाइसेंस था ही नही, तो इतनी जल्दी स्वास्थय विभाग का ड्रग्स विभाग लाइसेंस कैसे दे सकता है !
और मजेदार तथ्य ये भी है कि आबकारी विभाग ने कह दिया कि आप रिन्यूअल एक माह में करोगे। सीएम त्रिवेंद्र के आबकारी ने सारी सीमा पार केंद्र सरकार के निर्देशों को फिर चेलेंज किया है । केंद्र सरकार की कहती है कि सिर्फ निर्माण एजेंसी ही हैंड सैनिटाइजर या ऐसी चीजें बना सकती हैं, जबकि यह एक बाॅटलिंग प्लांट है। ना इनके पास तीस मार्च तक ड्रग्स केमिकल का लाइसेंस था और ना ही इस प्रकार की कोई भी एक्सपर्टीज थी।
लाॅक डाउन मे कहां से आएगा अल्कोहल और अन्य सामग्री
सारा देश लॉक डाउन है तो सैनिटाइजर निर्माण सामग्री कैसे आयी। एक बात ये भी कि शराब भराई प्लांट में सेनेटाइजर कैसे बनेगा ! अंदेशा है कि कहीं गायब हुए अल्कोहल को तो एडजस्ट नही किया जा रहा।
सवाल ये भी है कि क्या सीएम त्रिवेंद्र के फैसले क्या उनकी बिना जानकारी के लिये जा रहे है या फिर कोई सलाहकार ही इसे चला रहे है। जिस फैक्ट्री मालिक के खिलाफ डेढ करोड रूपये के घोटाले के आरोप में जांच चल रही है, उसे सेनेटाइजर बनाने का लाइसेंस भी दे दिया गया। नैनीताल जिले मे स्थित माँ शीतला का विवादों से पुराना नाता रहा है।पीएनबी बैंक ने भी इस फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ लोन में घपले पर मुकदमा दर्ज कराया था। इतना ही नही जिस भूमि को हिल्ट्रान से किसी अन्य के काम के लिये बताकर लिया गया उसमें शराब फैक्ट्री स्थापित कर दी गई। इस मामले में भी हिल्ट्रान ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।
सेस डकारने की जांच
इसे मौजूदा समय में चंद अधिकारियों की कृपा पात्रता ही कहेंगें कि जो माँ शीतला पर इतनी शीतलता बरत रही है। दरअसल माँ शीतला फैक्ट्री संचालन ने जो शराब उत्पादन कर शराब बेची उसके एवज में सेस लिया गया। ये सेस जनता से लेकर महिला शक्ति व सुरक्षा के लिये जमा कराना होता है। लेकिन इसे जमा नही कराया गया मामले की जांच खुलने के बाद सितंबर माह में ही प्रबंधन फंसा। लेकिन प्रबंधन को बचाने के लिये बार बार जांचें बदली जाती रही। अभी भी जांच लंबित ही चल रही है। इसमें होना तो ये चाहिये था कि मौजूदा फैक्ट्री लाइसेंस भी निरस्त कर आपराधिक मुकदमा दर्ज होना चाहिये था लेकिन नही किया गया।
पिछले घोटाले को रफा-दफा पर सवाल
जानकार ये भी इशारा करते हैं कि जांच को घुमाफिराकर जल्द समाप्त कराने की तैयारी भी है। तीन साल से जानबूझकर सेस का पैसा दबाकर उसे निजी कार्यो में लगाया गया था। आबकारी आयुक्त का फैसला एक बार फिर सवालो में है। आखिर विवादित लोगों के साथ इतनी दिलचस्पी क्यों है ! आखिर क्यों पुराने मामले में जांच कराकर ठोस फैसला लेने से बचा जा रहा है। लाइसेंस कैंसिल करना तो दूर मामले मे जांच को घुमाया जा रहा है।
सभी लाइसेंस हैं : शीतला के डायरेक्टर तुषार
शीतला इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर तुषार अग्रवाल का कहना है कि उनके पास सभी प्रकार के लाइसेंस है “सैनिटाइजर के उत्पादन के लिए भी उन्हें 30 मार्च को लाइसेंस मिल चुका है।”
तुषार अग्रवाल का कहना है कि “पीएनबी से उनका कोई झगड़ा था जो अब समाप्त हो चुका है।” 11 मार्च को ही उन्हें पीएनबी ने भी क्लीन चिट दे दी है। और अब पीएनबी को भी उनसे कोई शिकायत नहीं है।
तुषार अग्रवाल कहते हैं कि जनहित में आपातकाल में सरकार किसी को भी अधिग्रहित कर सकती है। उद्योग विभाग द्वारा की गई एफआईआर के बारे में तुषार अग्रवाल का कहना है कि “यह केस हाईकोर्ट में लंबित है और विभाग की ओर से कोई भी पैरवी करने के लिए नहीं आ रहा है, क्योंकि हिल्ट्रॉन समाप्त हो चुका है और हिल्ट्रॉन को सिडकुल द्वारा टेकओवर किया जा चुका है।”
सेस के विषय में भी तुषार अग्रवाल का कहना है कि डिपार्टमेंट से उन्हें “कोई नोटिस नहीं मिला है और ना ही कोई रिकवरी नोटिस मिला है। उनके ऊपर कोई बकाया नहीं है।”
आबकारी महकमा ले रहा है राज्य मे अंतिम सांसे
वैश्विक महामारी कोरोना में भी राज्य के आबकारी महकमे की हसरतें पूरे शबाब पर है। इनकी फुल चल रही है। पचास लोगों के जमा होने की अनुमति न होने पर भी इन्होने ठेके कराए। नीति पूरी तरह फेल हुई। हरिद्वार, धमसिंहनगर में ठेकों में गिरावट ने इनकी पोल खोल दी। लेकिन इन्हे सब कुछ करने की आजादी है।