देहरादून। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण और नियुक्ति घोटालों का तो जैसे चोली दामन का साथ है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण में अब तक हुयी कोई भी नियुक्ति घोटाले से अछूती नहीं रही है। मुख्यमंत्री के विभाग में इस प्रकार बार बार नियुक्ति घोटालों के होने से जीरो टॉलरेंस पर कई सवाल खड़़े़े हो रहे हैं।
पर्वतजन के उत्तरकाशी के एक पाठक के द्वारा यह पूरा प्रकरण संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने पर्वतजन को बताया कि प्राधिकरण ने मास्टर ट्रेनर खोज एवं बचाव के 30 पदों की विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें उर्ध्व आरक्षण के अनुसार 17 पद सामान्य श्रेणी (General), 03 पद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), 05 पद अनुसूचित जाति (SC), 04 पद अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और 01 पद अनुसूचित जनजाति (ST) के थे। प्राधिकरण ने 25 पदों के लिये 10 फरवरी 2020 को साक्षात्कार करवाया और 25 पदों के लिये ही 03 अप्रैल 2020 को परिणाम घोषित किये। जिसमें अनुसूचित जाति (SC) के 05 पदों के लिये कोई परिणाम घोषित नहीं किये गये हैं। संभवतः इन्हीं 05 पदों के साक्षात्कार नहीं कराये गये थे, इसीलिए 25 पदों के ही परिणाम घोषित किये गये हैं।
प्रकाशित की गयी विज्ञप्ति के अनुसार सामान्य श्रेणी के 17 ही पद थे लेकिन 03 अप्रैल 2020 को घोषित किये गये परिणाम के अनुसार सामान्य श्रेणी में 17 की जगह 19 लोगों का चयन किया गया है।
बड़ा सवाल यह है कि जब सामान्य श्रेणी के 17 ही पद थे तो फिर सामान्य श्रेणी में 19 लोगों का चयन कैसे कर दिया गया। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के 03 पद थे, लेकिन घोषित किये गये परिणाम के अनुसार 03 पदों में से केवल 01 पद पर ही एक व्यक्ति का चयन किया गया है, बाकी 02 पदों पर EWS श्रेणी के अन्य किसी व्यक्ति का चयन नहीं किया गया है। संभवतः आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के 02 रिक्त पदों को सामान्य श्रेणी में परिवर्तित करके उसमें सामान्य श्रेणी के 02 अतिरिक्त लोगों का चयन किया गया है। यदि प्राधिकरण ने EWS के 02 रिक्त पदों को सामान्य श्रेणी में परिवर्तित किया है तो यह नियम विरुद्ध है, क्योंकि EWS श्रेणी का आरक्षण उर्ध्व आरक्षण है और उर्ध्व आरक्षण को दूसरी श्रेणी में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। केवल क्षैतिज आरक्षण में महिला को उसी श्रेणी के पुरुष में परिवर्तित किया जा सकता है।
उत्तराखंड सरकार ने 05 फरवरी 2019 को सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से गरीब लोगों के लिये राज्य की भर्तियों में 10% उर्ध्व आरक्षण की व्यवस्था करते हुये शासनादेश जारी किया था। इस शासनादेश के उपधारा (1) के बिंदु संख्या 03 में उल्लेखित किया गया है कि “इस श्रेणी के लिये आरक्षित कोई रिक्ति बिना भरे रह जाये तो उस श्रेणी से सम्बंधित व्यक्तियों में से ऐसी रिक्ति को भरने के लिये विशेष भर्ती की जायेगी” अर्थात बैकलॉग भर्ती की जायेगी।
इसका सीधा मतलब है कि EWS श्रेणी के पदों के रिक्त रहने की स्थिति में इन पदों को अगली भर्ती किये जाने तक रिक्त ही रखा जाना होगा और उन्हें किसी दूसरी श्रेणी में परिवर्तित नहीं किया जा सकेगा।
प्राधिकरण ने EWS श्रेणी के शेष 02 पदों को यदि रिक्त रखा है तो सामान्य श्रेणी के 17 पदों पर 19 लोगों का चयन नियमविरुद्ध किया गया है और यदि EWS श्रेणी के शेष 02 पदों को रिक्त ना रखते हुये उन्हें सामान्य श्रेणी में परिवर्तित कर दिया गया है तो यह भी नियमविरुद्ध है, क्योंकि उर्ध्व आरक्षण को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। यदि इन 02 पदों को सामान्य श्रेणी में परिवर्तित किया गया है तो यह 05 फरवरी 2019 को उत्तराखंड सरकार द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े हुये सामान्य श्रेणी के गरीब लोगों के लिये दिये गये 10% आरक्षण का उलंघन है और शासनादेश की उपधारा 05 के अनुसार दंडनीय है।
इस प्रकार एक बार फिर से माननीय मुख्यमंत्री के विभाग में नियुक्ति घोटाला हुआ है और घोटाले के साथ साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अधिकारों पर भी सेंध लगाई गयी है।
अब देखते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी की इस नियुक्ति घोटाले में क्या प्रतिक्रिया होगी और उनके द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अधिकारों का संरक्षण किया जायेगा या फिर अपने विभाग के अधिकारियों को संरक्षण दिया जायेगा।