नवल खाली
पौड़ी में पत्रकार अद्वेत बहुगुणा पर मुकदमा दर्ज हो गया है ।
मुकदमा दर्ज होने का कारण ये बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर उन्होंने एक व्यंग्यात्मक प्रश्नोत्तरी की थी । जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से उत्तराखंड में पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज करने में टीएसआर सरकार ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
सबसे ज्यादा मुकदमे इसी सरकार में पत्रकारों पर हुए हैं। पर हर मुकदमे के बाद टीएसआर की किरिकिरी भी खूब हुई है।
जिसने भी प्रदेश में जीरो टॉलरेंस में पनप रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ लिखा या कहा तो उसके खिलाफ इस सरकार में मुकदमे ठोक दिए गए।
ऐसा भी क्या लिख दिया था ( देखिए पोस्ट)
पौडी के अद्वेत बहुगुणा ने अपने फेसबुक वॉल पर एक व्यंग लिखा था जिसमे उन्होंने आपातकाल में मजलूमो की मदद और कोरोना महामारी के काल को कैसे देखते हैं पर प्रश्नोत्तरी लिखी थी।
जिस पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौडी द्वारा कोरोना वायरस सम्बधी मिथ्या खबरें व गलत सूचनाओं के प्रसारण में आपदा अधिनियम 2005 में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
पुलिस की प्रेस रिलीज
हालांकि पूरे मामले की अभी जांच चल रही है पर ये बात निकल कर आ रही है कि अद्वेत के खिलाफ ये मुकदमा करके लिखने वालों को डराने का प्रयास किया जा रहा है।
यदि अद्वेत द्वारा लिखी बातें भ्रामक हैं तो क्या सरकार द्वारा कोरोना के बाद लॉकडाउन की वजह से फंसे लोगों की सहायता का दावा करने को लेकर जो बन्द नम्बर और ऐसे नम्बर जारी करके भ्रामकता नहीं फैलाई जिन नम्बरों को इनकी आला अधिकारी इला गिरी द्वारा उठाना भी मुनासिब नहीं समझा गया?
क्या ये भ्रामकता की श्रेणी में नही आता ?
आज जो हजारों युवा उत्तराखंड के बोर्डरों पर फंसे हैं यदि उनको सही नम्बर ,सही समय पर उपलब्ध हो जाते तो क्या आज वो इतने परेशान रहते ?
क्या उन लोगो के खिलाफ सरकार ने मुकदमा दर्ज किया ? जिन्होंने उत्तराखंड के युवाओ को गुजरात से लाकर रात के 1 बजे हरियाणा बॉर्डर पर उतार दिया था??
जो गाड़ी गुजारतियो को छोड़कर गुजरात से वापस आ रही थी ,आखिर उन बसों के ड्रायवरों को किसने ये आदेश दिया कि उत्तराखंडी युवाओ को आधी रात को हरियाणा बॉर्डर पर छोड़ दो ?
क्या इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए था ?
कुल मिलाकर इस प्रदेश में ये अच्छा पैटर्न निकल पड़ा है कि पत्रकारों पर मुकदमे कर दो ताकि अन्य लिखने वाले लोगों को भी डराया जा सके ।
सरकार को वही लोग पसंद हैं जो सरकार की सिर्फ वाहवाही लिखें। सरकार के कामो की समीक्षा करना ,गलत नीतियों पर कटाक्ष करना और सिस्टम के खिलाफ लिखने पर ये सरकार सीधे मुकदमे दर्ज कर लेती है।
अन्य पत्रकारों की तरह न्याय की इस लड़ाई में अद्वेत भी जल्द बरी हो जाएंगे पर टीएसआर सरकार पत्रकारों का दमन करने वाली सरकारों में अपना नाम दर्ज करवा लेगी।