वर्तमान में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने स्टेनोग्राफर वैयक्तिक सहायक के 158 पदों के लिए आवेदन मांगे हैं।
इसमें शैक्षिक योग्यता में मान्यता प्राप्त संस्थान से 1 वर्ष का कंप्यूटर प्रमाणपत्र मांगा गया है। जहां तक मान्यता प्राप्त संस्थान की बात करें तो राज्य में कोई भी मान्यता प्राप्त संस्थान नहीं है जो कि उत्तराखंड शासन ने सूचना के अधिकार में बताया है।
इससे पूर्व 2017 में सचिवालय अपर निजी सचिव ए पी एस के पद के लिए भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 1 वर्ष का कंप्यूटर प्रमाण पत्र मांगा गया था, जिसमें मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई करने वाले 95% अभ्यर्थी प्रमाण पत्र के कारण अयोग्य घोषित किए गए थे।
इसके कारण भर्ती आज तक संपन्न नहीं हो पाई और उच्च न्यायालय में लंबित है।
स्टेनोग्राफर पद के लिए किसी भी राज्य में कंप्यूटर प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाता है।
यहां तक कि एसएससी में ही नहीं।
ऐसे में राज्य सरकार द्वारा ऐसी योग्यता रखना सिर्फ चहेतों को नौकरी देने की ओर इशारा करता है। क्योंकि कुछ लोग बाहरी राज्यों से प्रमाण पत्र बना रहे हैं और सरकार ने अभी तक नहीं बताया है कि कौन सा मान्य है।
उत्तराखंड शासन ने लोक सेवा आयोग हरिद्वार को भी यही जानकारी दी है कि सरकार द्वारा मान्यता विषय कोई मानक सूची संज्ञान में नहीं है।
शासन का यह भी कहना है कि तकनीकी शिक्षा के अंतर्गत संचालित उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद रुड़की से संबंध राजकीय तथा राजकीय सहायता प्राप्त एवं निजी क्षेत्र के पालिटेक्नीकों में एक वर्षीय कंप्यूटर पाठ्यक्रम का कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है।
इस संबंध में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कई बार शासन से स्थिति स्पष्ट करने के लिए मांग कर चुका है लेकिन शासन ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है।
यहां तक कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने अपनी ओर से कुछ सुझाव भी दिए थे लेकिन उन सुझावों पर भी शासन स्तर पर कोई विचार नहीं किया गया।
यदि इस दुविधा का निराकरण किए बिना भर्तियां कराई गई तो स्टेनोग्राफर वैयक्तिक सहायक के 158 पदों के लिए होने वाली भर्तियां भी फिर से उच्च न्यायालय में जाकर अटक सकती हैं।
इससे बेरोजगारों का समय व धन का नुकसान तो होगा ही, सरकार की भी छवि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
किसी भी विभाग की कर्मचारी सेवा नियमावली के अंतर्गत मान्यता प्राप्त संस्थान की परिभाषा ही स्पष्ट नहीं है और ना ही अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को इसकी कोई जानकारी दी गई है कि कौन से संस्थान से कंप्यूटर पाठ्यक्रम करना मान्यता प्राप्त है।
ना तो शासन ने इस पर कोई निर्णय लिया है और ना ही कोई शिथिलीकरण का फैसला किया है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने शासन को नियमावली में संशोधन करने के लिए विचार करने के लिए कहा था किंतु यह भी अभी तक नहीं किया गया है।
इससे साफ है कि उत्तराखंड के कई अभ्यर्थी आवेदन तथा नौकरियों से वंचित रह जाएंगे तथा कई जिनके पास बाहरी राज्यों से जुगाड़ है, वह नौकरी लग जाएंगे। अथवा यह सारी प्रक्रिया कोर्ट कचहरी की भेंट चढ़ जाएगी।