हाई कोर्ट : रोडवेज चालकों के हित में बड़ा फैसला। नौकरी के पीछे पड़ी सरकार को झटका
रोडवेज के संविदा चालक/परिचालकों के हित में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इन कर्मचारियों को अनुबंध के आधार पर नौकरी करने के लिए बाध्य न किया जाए तथा इनका पांच-छह महीने से रुका हुआ वेतन भी दे दिया जाए।
अधिकारियों की मनमानी के चलते उत्पीड़न
गौरतलब है कि उत्तराखंड रोडवेज के अधिकारी मनमानी पर उतर आए हैं। यह अधिकारी एक दशक से नौकरी करते आ रहे ड्राइवरों को 11 महीने के अनुबंध पर लाना चाह रहे हैं। ताकि 11 महीने बाद उन्हें किसी ना किसी बहाने से निकाल कर बाहर करने की सुविधा बन जाए।
एक दशक से पहाड़ के खतरनाक रास्तों पर जान दांव पर लगाते हुए अपनी जवानी खफा देने वाले रोडवेज ड्राइवर को आशंका है कि वह तो हर वक्त सड़क पर रहते हैं, लेकिन अधिकारियों के इस सनक भरे फैसले से उनका पूरा परिवार कभी भी “सड़क” पर आ सकता है।
इस फैसले के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी हाईकोर्ट गए और हाईकोर्ट ने विभाग को न सिर्फ अपना फैसला वापस लेने के लिए कहा है बल्कि इन कर्मचारियों का रुका हुआ वेतन भी जारी करने को कहा है।
अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि यह राज्य उत्तराखंड के लोगों के लिए बना है, ना कि उन को बर्बाद करने के लिए !
उत्तराखंड क्रांति दल के मीडिया प्रभारी शांति भट्ट ने रोडवेज कर्मचारियों के उत्पीड़न को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है। शांति भट्ट ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के परिवारों का हित सोचने के बजाय उनके खिलाफ कार्यवाही में लगी रहती है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से रोडवेज कर्मचारियों को उम्मीद जगी है कि उन्हें न सिर्फ 5 महीने से रुका हुआ वेतन मिल जाएगा, बल्कि अनुबंध की आड़ में उनके सर पर लटकी हुई तलवार भी हट जाएगी।
उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के प्रदेश महामंत्री रवि नंदन कुमार का कहना है कि उन्होंने प्रबंध निदेशक को माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा दी गई। अंतरिम राहत को लागू करने के लिए अनुरोध किया है।