गजब: ग्राम प्रधानों के सौ-सौ रुपये चंदे से देंगे ब्लॉक के टाइपिस्ट की तनख्वाह 

ग्राम प्रधानों मे आक्रोश उनके सौ-सौ रुपये चंदे से देंगे ब्लॉक के टाइपिस्ट की तनख्वाह। अफसरों का कहना ,-“प्रशासनिक मद में पहले से है व्यवस्था।”

त्तराखंड की भ्रष्ट त्रिवेंद्र सरकार की आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई है कि, विकास खंडों में तैनात डाटा एंट्री ऑपरेटर का वेतन देने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर सौ-सौ रुपये की फांट (चंदा) लगाई गई है। ग्राम प्रधानों में इस तरह की लचर व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश है, वहीं अधिकारियों का कहना है कि “कंटिजेंसी मद में पहले से ही इस तरह की व्यवस्था है। ऐसे खर्चे प्रशासनिक मद किए जा सकते हैं।”

हालांकि हर ग्राम स्तर पर ग्राम रक्षकों की भर्ती करने का दावा करने वाली सरकार क्या इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए अलग से कर्मचारी तैनात नहीं कर सकती !

विकासखंड स्तर पर टाइपिंग के काम के लिए वेतन पर कर्मचारी तैनात करने की क्या हैसियत नहीं रह गई है त्रिवेंद्र सरकार की।

डाटा एंट्री ऑपरेटर को ई ग्राम स्वराज अभियान में ऑनलाइन डाटा फीडिंग और कोरोना की रिपोर्टिंग भी करनी पड़ती है, लेकिन विकासखंड स्तर पर इस तरह के काम के लिए कोई सहायक उपलब्ध नहीं होने से यह काम हस्तलिखित अथवा बाजार से टाइपिंग के द्वारा कराया जाता है, जिससे सूचनाएं भेजने में अनावश्यक विलंब हो जाता है। ग्राम पंचायतों द्वारा पंचायत सॉफ्टवेयर में भी किसी कंप्यूटर सहायक अथवा डाटा एंट्री ऑपरेटर ना होने से बहुत कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं। खुद जिला पंचायत राज अधिकारी राकेश शर्मा ने यह बात स्वीकार की है।

अब बाकायदा एक पत्र जारी करते हुए सभी ग्राम प्रधानों को मौखिक रूप से कह दिया गया है कि ब्लॉक स्तर पर तैनात होने वाले टाइपिस्ट का वेतन ग्राम प्रधानों के सौ-सौ रुपए के चंदे से दिया जाएगा। अब आप समझ सकते हैं कि प्रदेश में बेरोजगारी और आर्थिक स्थिति की असल कहानी क्या है ! लेकिन यह कहानी आपको पर्वतजन के अलावा कोई दूसरा मीडिया नहीं बताएगा। इसलिए सतर्क रहिए राज्य की बिगड़ती हालात तक आवाज उठाइए।

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