एक नाम से दो-दो मनरेगा जाॅब कार्ड
– मनरेगा कार्ड में फर्जीवाडा़ सरकारी लापरवाही को सिस्टम पर सवाल कैसे बना दिया
– नौगांव विकासखडं ने एक कार्ड दो लोगों के नाम लाभार्थी लाभ से वंचित: भ्रष्टाचार
नौगांव विकासखडं में मनरेगा कार्ड को लेकर फर्जीवाडा़ सामने आया है। मामला दारसौं ग्राम पंचायत का है, जहां एक मनरेगा कार्ड दो लोगों के नाम निर्गत कर दिया। अब कौन असली है कौन नकली हांलाकि एक शिव प्रसाद का नाम कर्मचारी ने अपनी कलम से काट जरूर दिया, लेकिन सरकारी सिस्टम से भी कटना चाहिये था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ यह मामला तब प्रकाश में आता रहा जब शिव प्रसाद मुलकराम अपने खाते की पासबुक बैंक ले जाते थे, लेकिन शिव प्रसाद के खाते में पहली किस्त ही आती थी बाकी की मजदुरी कहां जाती कोई पता नहीं।
शिवप्रसाद यह जानकारी लगातार ग्राम पंचायत प्रधान को देते लेकिन वहां उन्हे यह अश्वासन मिलता की कार्ड को सही किया जा रहा है लेकिन पुरे पांच साल बीत जातें हैं। लेकिन मनरेगा कार्ड का नहीं तो शुद्धिकरण होता है और नहीं उन्हे उनकी मजदुरी मिलती है? अब यह सवाल सरकारी सिस्टम के लिये बडा़ हो जाता है कि, इतनी बड़ी चुक इतने साल कैसे नहीं ली क्यों हुई ऐसी चुक क्या यह एक गरीब के साथ कोई साजिश थी या मानविय चुक यदि चुक थी तो सही क्यों नहीं हुई और सरकारी सिस्टम जागा क्यों नहीं?
नौगांव विकासखंड ऐसे मामलों के लिये ख्याती प्राप्त है। आखिर ऐसे मामलों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती! क्यों सरकारी सिस्टम इतना लापरवाह हो रखा है कि कुछ भी करे फर्क नहीं पड़ता! नौगांव विकासखडं ने इस भ्रष्टाचारत्मक मामले पर क्या जिलें के उच्च अधिकारी कोई ठोस जांच बैठायेंगे। जिससे गरीब का हक उसे मिले और दोषी अधिकारियों और प्रतिनिधियों के खिलाफ कानुनी कार्रवाई हो और होनी भी चाहिए। मामले पर पीड़ित शिवप्रसाद ने जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी बड़कोट से जांच की मांग खबर के माध्यम से की है। जिससे उसे हक मिल सके और होना भी चाहिए। भविष्य में सरकारी सिस्टम से ऐसी घोर लापरवाही ना हो?