चिदानंद मुनि के अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट ने की सुनवाई

चिदानंद मुनि के अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट ने की सुनवाई

 

रिपोर्ट- कमल जगाती
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मुनि चिदानंद द्वारा 35 बीघा जमीन वीरपुरखुर्द वीरभद्र निकट ऋषिकेश में रिजर्व फारेस्ट की भूमि पर अतिक्रमण करने व उस पर एक विशाल 52 कमरों की बिल्डिंग का निर्माण कार्य किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। सोमवार को न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा था कि, अवैध निर्माण कार्य कितने दिनों में ध्वस्त किया जाएगा, जिस पर आज सरकार द्वारा कोर्ट में शपतपत्र पेश कर कहा कि, इसे ध्वस्त करने के लिए सरकार ने एक कम्पनी को ठेका दे दिया है और कम्पनी ने सरकार को आश्वासन दिया है कि, इस निर्माण को लगभग 23 दिन के भीतर ध्वस्त कर देंगे। कोर्ट ने सरकार के इस मत से सहमत होकर मामले की अगली सुनवाई 24 नवम्बर की तिथि नियत की है।

आज सुनवाई के दौरान मुनिचिदानंद की तरफ से कहा गया कि, उन्होंने इसे बड़ी मेहनत से बनाया है इसे तोड़ा नही जाय। बल्कि इसे फारेस्ट या सरकार किसी अन्य कार्य हेतु उपयोग में ला सकती है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि, मुनिचिदानंद द्वारा फारेस्ट की भूमि पर अतिक्रमण किया जाना सिद्ध हो गया है। फारेस्ट विभाग ने मुनि जी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ और न्यायमुर्त्ति रविन्द्र मैठाणी की खण्डपीठ में हुई।

मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, ऋषिकेश के निकट वीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिज़र्व फारेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा करके वहां पर 52 कमरे, एक बड़ा हाल और गौशाला का निर्माण कर लिया है। चिदानंद के रसूखदारों से सम्बन्ध होने के कारण वन विभाग व राजस्व विभाग द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही हैं। कई बार प्रशासन व वन विभाग को अवगत कराया गया, फिर भी किसी तरफ की गतिविधियों पर रोक नहीं लगी, जिसके कारण उनको जनहित याचिका दायर करनी पड़ी। याचिकर्ता ने उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर यह भूमि सरकार को सौंपे जाने की मांग की है।

Read Next Article Scroll Down

Related Posts