आंगनबाड़ी कर्मचारियों का वेतन न मिलने पर उत्तराखंड क्रांति दल के नेता ने किया दीपावली न मनाने का फैसला

आंगनबाड़ी कर्मचारियों का वेतन न मिलने पर उत्तराखंड क्रांति दल के नेता ने किया दीपावली न मनाने का फैसला

देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं का मानदेय न मिलने पर सरकार की बेशर्मी के खिलाफ दीपावली का त्योहार न मनाने का फैसला किया है। शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि, सरकार की संवेदनहीनता के कारण बिना मानदेय और बोनस के आंगनबाड़ी बहनों की दीपावली फीकी पड़ गई है।

शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि, उत्तराखंड सरकार की इससे बड़ी बेशर्मी और क्या हो सकती है कि आंगनबाड़ी बहनों की दीपावली इस बार फीकी रहेगी। मात्र ₹3750 के अल्प मानदेय पर जी तोड़ मेहनत करने वाली आंगनबाड़ी सहायिका बहनों को इस बार दीपावली का वेतन नहीं मिला है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का वेतन 7500 है लेकिन इन्हें भी अभी तक मानदेय नहीं मिला है।

गौरतलब है कि, दीपावली पर सरकारी कर्मचारियों को उनका रुका हुआ वेतन तो जारी हुआ ही है बल्कि उन्हें बोनस भी मिला है, लेकिन आंगनवाड़ी बहनों के हाथ खाली हैं। हरिद्वार जिले का उदाहरण देते हुए यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि, उदाहरण के तौर पर हरिद्वार जिले में 3,157 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें लगभग 6000 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिका तैनात है। किंतु हरिद्वार की जिला कार्यक्रम अधिकारी भारती तिवारी वेतन के नाम पर बताती है कि विभाग में डायरेक्टर और सचिव के पद खाली होने के कारण मानदेय अभी तक नहीं मिल पाया है।

सेमवाल ने कहा कि, यही नहीं चाय बागान कर्मचारियों को भी वेतन नहीं दिए जाने की बात सामने आ रही हैं। आखिर कोई सरकार इतनी संवेदनहीन कैसे हो सकती है ! गौरतलब है कि एक परिवार की महिला जब कुछ वेतन प्राप्त करती है तो पूरे घर के लिए छोटी-छोटी जरूरतों पर भी उनका ध्यान रहता है। परिवार के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर एक के चेहरे की खुशियों का उसे खयाल होता और मायूसियों का मलाल भी होता है। लेकिन इस बार दीपावली पर सब चीजों की पूर्ति करने के लिए उसके पास बेहद कम गुंजाइश है।

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