ग्राउंड पर फेल त्रिवेंद्र, फेसबुक पर कर रहे उत्तराखंड का विकास। जनता में हो रही किरकिरी
– उमेश कुमार
आजकल सोशल मीडिया के फेसबुक प्लेटफार्म पर तो सूबे के सीएम त्रिवेंद्र रावत ही छाए हुए हैं। फेसबुक ओपन करते ही त्रिवेंद्र रावत के नाम से बने दर्जनों पेज दिखाई देने लगते हैं। सस्ती लोकप्रियता पर जनता की गाढ़ी कमाई खर्च हो रही है।
● त्रिवेंद्र सरकार यानी रोजगार की भरमार।
● गरीबो का प्यार त्रिवेंद्र सरकार
● पलायन जड़ से मिटाना है, त्रिवेंद्र दा को लाना है।
● चमोली की पुकार, फिर से त्रिवेंद्र सरकार।
● समर्थक कहें दिल से त्रिवेंद्र सरकार फिर से
● अल्मोड़ा के प्रिय त्रिवेंद्र रावत।
● उत्तरकाशी का आश्रीवाद, त्रिवेंद्र रावत के साथ।
● पौडी मेरी शान त्रिवेंद्र जी की पहचान।
ये सारे पेज ऋचा गुप्ता और सलोनी शर्मा नाम की दो युवतियों के नाम से स्पॉन्सर हैं। मतलब कि इन पेजों को आगे बढाने के लिए अच्छी खासी धनराशि भी खर्च की जा रही है। माना सोशल मीडिया का दौर है, पर इसका मतलब ये नही कि अतिश्योक्ति अलंकार को किनारे रख लिया जाय।अब चर्चा की जाय उस पेज की जिसका आज मैं पोस्टमार्टम करने जा रहा हूँ। क्योंकि ये पेज खासी चर्चाओं में हैं।
उस चर्चित पेज का नाम है-
त्रिवेंद्र सरकार यानी रोजगार की भरमार
आइये देखते हैं उनके इस पेज पर लोगो के क्या और किस तरह के रिएक्शन है।
● इस पेज पर नीलम भट्ट साहनी लिखती हैं कि-
अच्छा मजाक है यहां आउटसोर्स कर्मचारियों को पांच से नौ महीने का ना ही वेतन दिया गया और उनको नौकरी से निकाल दिया गया बिना नोटिस दिए।
● वहीं नन्द किशोर भट्ट ने लिखा है कि-
रोजगार केवल फेसबुक में है। हकीकत में नही। परीक्षा के लिए मोटी फीस लेकर कमाई हो रही है। परीक्षा नही कराई जाती। परीक्षा हो भी जाती है तो धाँधली, फिर मामला कोर्ट में नौकरी भुस्स।
● अजय डोभाल ने लिखा है कि-
मजाक तक तो ठीक है, पर कब तक देश के प्रधानमंत्री के नाम पे वोट मांगोगे? खुद से भी कुछ करो, उत्तराखंड में बेरोजगारी प्रचण्ड है उसका क्या। बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट
● वहीं गब्बर सिंह ने लिखा है कि-
रोजगार मिलता हुआ तो दिख नहीं रहा, अलबत्ता मेयर की बेटी व पत्नि को अवश्य मिला रोजगार। कैसे मिला वो सब जानते हैं, और बेटे को कैसे जमीन मिली लीज पर, औरों को भी दिला दीजिये?
चौहान शुभम ने यूपीपीसीएल की भर्ती चार साल से लटकाने की बात लिखी है। साथ ही क़ई युवाओ ने अलग-अलग तरह के कमेंट किये हैं। इसीलिए ये पेज आजकल चर्चाओं में आ गया है। क्योंकि रोजगार की आस लगाए बैठे युवाओ के ये पेज गले नहीं उतर पा रहा है। ऐसे में अब सीएम साहब के सलाहकारों को कौन समझाए कि ऐसे अतिश्योक्ति अलंकार वाले पेज बनाने से वो बेरोजगारो को गुस्सा उड़ेलने का प्लेटफार्म दे रहे हैं। जहाँ युवा जमकर त्रिवेंद्र रावत को कोसने का काम कर रहे हैं।
अब इसी पेज को देख लीजिए-
पलायन जड़ से मिटाना है, त्रिवेंद्र दा को लाना है।
अब भला पलायन कोई पेड़ है क्या जिसकी जड़ में मठ्ठा डालकर उसे जड़ से मिटा देंगे। दरअसल सूत्र बताते हैं कि, अगस्त 2020 से राज्य सूचना विभाग ने एक ऐसी कम्पनी हायर कर ली है। जिसके साथ सालाना दो से ढाई करोड़ रुपये का एग्रीमेंट हुआ है। कम्पनी वर्तमान में सूचना निदेशालय के भवन से ही संचालित हो रही है, तो अंदेशा लगाया जा रहा है कि कम्पनी द्वारा ही सीएम साहब की छवि सुधारने के लिए ये विभिन्न पेज बनाये और स्पॉन्सर करवाये जा हैं, पर इन पेजों के कमेंट रिव्यू देखकर तो यही लगता है कि ऐसे पेज बनवाकर, सलाहकार और दरबारी लोग, सीएम साहब का ग्राफ गिराने का काम कर रहे हैं, क्योंकि इन पेजों के कमेंट बॉक्स में 90% प्रतिशत कमेंट नेगेटिव ही नजर आ रहे हैं।