ऑपरेशन में लापरवाही के कारण मरीज की मृत्यु, 60 लाख मुआवजे का मुकदमा दर्ज

 इलाज के दौरान मृत्यु होने पर अस्पताल पर 60 लाख रुपये के मुआवजे का परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग उधमसिंह नगर में दर्ज कराया गया है। यह मुकदमा दादा, पोते ने अपने पुत्र/पिता की मृत्यु पर सेन्ट्रल हॉस्पिटल हल्द्वानी के विरुद्ध दर्ज कराया है। आयोग ने इसे सुनवाई हेतु स्वीकार करके नोटिस जारी किया है तथा 23 अप्रैल तक अस्पताल को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

बाजपुर निवासी बल्देव कृष्ण गोयल व उनके पोते जतिन गोयल की ओर से नदीम उद्दीन एडवोकेट द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, उधमसिंह नगर में सेंट्रल हॉस्पिटल हल्द्वानी के विरुद्ध परिवाद दायर किया है। 

इसमें कहा गया है कि, उनके पुत्र/पिता सुधीर गोयल को 25 जनवरी 2019 को सीने में दर्द की शिकायत होने पर स्थानीय डॉक्टर को दिखाया गया|  जिसे हायर सेंटर रेफर करने पर सेन्ट्रल हॉस्पिटल हल्द्वानी में भर्ती कराया गया|  जहां पर जांच में ब्लड प्रेशर, तथा प्लेटलेट्स आदि सामान्य पाया गया। 

अस्पतताल द्वारा एन्जियोग्राफी की आवश्यकता बताते हुए एन्जियोग्राफी करायी गयी तथा तीनों आर्टरी बन्द बताते हुये तीन स्टेन्ट डालना बताया। स्टेन्ट डालने के बाद मरीज की हालत सुुधरने के स्थान पर बिगड़ने लगी तथा अस्पताल के डाॅक्टर ने बताया कि, उनका दिमाग का आपरेशन करना पड़ेगा तथा खून तथा प्लेटलेट्स का तुरंत इंतजाम करने को कहा गया|  जो उन्होंने उपलब्ध कराया। 

अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि, मरीज के दिमाग का ऑपरेशन कर दिया गया है वह जल्दी ठीक हो जायेगा। लेकिन अगले दिन डॉक्टरों  ने उसकी मृत्यु की सूचना दी और समस्त बिलों के भुगतान के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। परिवादी द्वारा अस्पताल को कुल रू. 290197, अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा बाहर से मंगाई दवाइयों का 22,297 तथा प्लेटलेट्स व खून की व्यवस्था हेतु रू. 14070 का भुगतान किया गया।

परिवाद में लिखित किया गया है कि, परिवादीगण ने सुधीर कुमार गोयल के इलाज संबंधी सभी रिकॉर्ड की प्रतियों की अस्पताल से मांग की|  लेकिन उत्तराखंड सूचना आयोग की शरण लेने के बाद भी इलाज का पूर्ण रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराया गया। अस्पताल द्वारा नवम्बर 2019 में जो कागज, टेस्ट रिपोर्ट व समरी उपलब्ध करायी गयी|  उससे स्पष्ट प्रमाणित है कि, जानबूझकर धन प्राप्त करने के लिये स्टेन्ट डाले गये|  ब्रेन के इलाज व ऑपरेशन में गंभीर लापरवाही की गयी, जिसके कारण मरीज की मृत्यु हो गयी। 

परिवाद में कहा गया है कि, समय पर सही इलाज न देने, अनावश्यक रूप से एंजियोप्लास्टी करना व गलत दवा, इलाज व ऑपरेशन के कारण उसे ब्रेन हेमरेज होना तथा अप्रशिक्षित व अकुशल गैर अनुभवी स्टाफ व डॉक्टरों द्वारा दिमाग का ऑपरेशन करना व क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के रजिस्ट्रेशन व उसके मापदंड के अनुरूप सुविधाएं व स्टाफ न होते हुए स्वयं को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल प्रचारित करना, इलाज के नियमानुसार समुचित रिकॉर्ड की प्रतियां मरीज के तीमारदारों को उपलब्ध न करना स्पष्टतः उपभोक्ता सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापारिक व्यवहार है|  जिससे हुए नुकसान के प्रत्येक मुआवजे के लिये विपक्षी जिम्मेदार है।

नदीम द्वारा विपक्षीगण की ओर से दाखिल कराये गये परिवाद में अस्पताल की लापरवाही व उपभोक्ता सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापारिक व्यवहार रुकवाने के आदेश के साथ-साथ इसके कारण परिवादीगण के कमाने वाले पुत्र/पिता की मृत्यु के कारण हुये आर्थिक नुकसान व मानसिक आघात का मुआवजा रू. 60 लाख का भुगतान कराने की मांग की है। इसके अतिरिक्त इलाज का समस्त रिकॉर्ड तथा मुआवजे की धनराशि पर ब्याज भुगतान का आदेश देने की भी प्रार्थना की गयी है। 

 नदीम के तर्कों को सुनने के बाद, उधमसिंह नगर जिला उपभोक्ता आयोग के पीठासीन अधिकारी/प्रभारी सदस्य सबाहत हुसैन खान ने परिवाद दर्ज करने तथा अस्पताल को नोटिस जारी करने तथा जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इस परिवाद सं0 26/2021 के रूप में दर्ज करके अगली सुनवाई की तिथि 23 अप्रैल 2021 नियत की गयी है।

Read Next Article Scroll Down

Related Posts