उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के बीच गुणवत्ता में वृद्धि और उसे निरंतर बनाए रखने के उद्देश्य से देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और छात्रों की बेहतर शिक्षा के लिए अपनाए जाने वाले माध्यमों पर चर्चा की।
मांडूवाला स्थित देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में शनिवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. ज़ाकिर हुसैन सेंटर फॉर एजुकेशनल स्टडीज़, जेएनयू, नई दिल्ली के प्रोफ़ेसर एस. श्रीनिवास राव ने “कक्षा के संदर्भ और उसके शैक्षणिक निहितार्थ” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
उन्होंने कहा कि हमें अपनी कक्षाओं में ऐसी गतिविधियों को शामिल करना चाहिए, जिससे केवल मेधावी छात्र ही नहीं बल्कि कमज़ोर छात्र भी लाभान्वित हो सकें।
ये शिक्षक की ज़िम्मेदारी है कि उसका हर छात्र शिक्षा ग्रहण करने को प्रेरित हो सके।आईआईटी रुड़की की प्रोफ़ेसर रश्मि गौड़ ने “शिक्षकों के लिए संचार रणनीति” विषय पर अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा कि सभी छात्रों में किसी चीज़ को समझने की क्षमता अलग अलग होती है और हमारा दायित्व है ये जानना कि कौन सा माध्यम छात्रों को ज़्यादा आकर्षित कर रहा है।
एमकेपी कॉलेज, देहरादून की भूतपूर्व प्राचार्य डॉ. इंदु सिंह ने “उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के महत्वपूर्ण आयाम” विषय पर प्रकाश डाला,वहीं, शारदा यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा में टीचिंग लर्निंग सेंटर के निदेशक डॉ. एसएस प्रसाद राव ने “उच्च शिक्षा में प्रायोगिक शिक्षा” विषय पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ. प्रीति कोठियाल ने कहा कि एक शिक्षक की उपस्थिति कक्षा के माहौल को बदल सकती है।
शिक्षा का ढंग और नित नए प्रयोग छात्रों को कक्षा में आने और ध्यान से पढने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ये हमारा दायित्व है कि पढ़ाने के रचनात्मक प्रयोग को दैनिक दिनचर्या में शामिल किया जाये।
संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संजय बंसल और उपकुलाधिपति श्री अमन बंसल की देखरेख में संपन्न हुआ।इस दौरान उपकुलपति डॉ. आरके त्रिपाठी, वरिष्ठ सलाहकार डॉ. एके जायसवाल सहित सभी शिक्षकगण उपस्थित रहे।