नीरज उत्तराखंडी
मुख्यमंत्री ने डामटा में की मोरी विकास खण्ड को हिमाचल प्रदेश के सीमांत गांव डोडरा-क्वार से जोड़ने वाले धौला-डोडरा क्वार सड़क मार्ग की घोषणा।
12 किमी के घोषित इस मार्ग से उत्तराखंड व हिमाचल सड़क मार्ग से तो जुड़ जायेंगे लेकिन मोरी विकास खण्ड के चार सीमांत गाँव ढाटमीर, गंगाड,पवाणी व ओसला के ग्रामीण राज्य निर्माण के 17 वर्ष बाद भी सड़क मार्ग से वंचित है। यहां के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने से आदिवासियों की तरह जीवन यापन कर रहे हैं।
विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हरकीदून का ट्रेक मार्ग इन्हीं गांवों से होकर गुजरता है। हरकीदून का प्राकृतिक सौन्दर्य का लुत्फ उठाने प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं। किन्तु आधारभूत सुविधाओं के अभाव में मायूस होकर लौट जाते हैं। यहां के ग्रामीणों को वन्य जीव विहार व पार्क क्षेत्र के वन कानूनों का दंश झेलना पड़ रहा है।
वनअधिनियम विकास कार्यों में बाधक बने हुए हैं।यही वजह है कि क्षेत्र के लोग इन गांवों को पार्क क्षेत्र की सीमा से बाहर करने की भी मांग करते आ रहे हैं।पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने चुनाव के दौरान मोरी ब्लाक के 42 गांवों को सेंचुरी से बाहर करने का चुनावी चुग्गा जरूर डाला था लेकिन घोषणा हवाई साबित हुई ।
अब जब सीएम का कार्यक्रम यमुना घाटी के डामटा में आयोजित खेलकूद एंव सांस्कृतिक मेले में बतौर मुख्य अतिथि के रूप फाइनल हुआ तो मोरी ब्लाक के सीमांत वासियो में आशा की एक किरण जगी थी कि सीएम की सीमांत गांव के प्रति संवेदना जगेगी और उनके चार गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की यह मांग जरूर पूरी होगी लेकिन उत्तराखंड के इन चार गांव के सीमांत वासियों की पीड़ा से सरकार को कोई सरोकार नहीं है ।
जानकारों का मानना है कि धौला-डोडराक्वार सड़क मार्ग की घोषणा करना एक मजबूरी थी क्योंकि हिमाचल में हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड के भाजपा सूरमाओं ने वहां की चुनावी रैली में हिमाचल प्रदेश के सीमांत गांव को उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र से जोड़ने की बात कह डाली थी।जो पार्टी के लिए मूंछों का सवाल बन गया था।
हालांकि धौला से डोडरा क्वार 12 किमी का सड़क मार्ग बनने से हिमाचल के लोगों को ज्यादा लाभ होगा। मांग पत्रों में रखी गई मांगों के संबंध में सीएम ने सहानुभूति पूर्वक विचार करने की बात कही ।