दून विवि और भर्ती घोटालों का चोली दामन का साथ है। कभी प्रोफेसरों की भर्ती में गड़बड़ियां कभी कुलपति की नियुक्ति में गड़बड़िया । लेकिन दून विवि के वर्तमान मामले ने तो आयुर्वेदिक और घुड़दौडी के कुलसचिवों के धांधली के मामलों को भी पीछे छोड़ दिया है।
मामला दून विवि के कुलसचिव मंगल सिंह मन्द्रवाल की विवि में अवैध नियुक्ति और फर्जीवाड़े का है। दून विवि, देहरादून के वर्तमान कुलसचिव मंगल सिंह मन्द्रवाल के खिलाफ पद के सापेक्ष योग्यता न रखने व गलत तरीके से दून विवि में कुलसचिव बनने के सम्बन्ध में एक वाद माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में चल रहा है।
साथ ही इनकी अयोग्यता के मामले में एक शिकायत उच्च शिक्षा विभाग देहरादून को भी की गई थी। शिकायत पर संज्ञान लेते हुये उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस पूरे प्रकरण पर एक जांच समिति बनाने तथा तब तक दून विवि, देहरादून के वर्तमान कुलसचिव मंगल सिंह मन्द्रवाल का स्थानान्तरण सोबनसिंहजीना विवि मे करने हेतु संस्तुति दी गई थी। सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि उच्च शिक्षा विभाग के सचिव शैलेश बगोली एवं उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा इनके स्थानान्तरण पर फाइल में संस्तुति प्रदान कर दी गई थी। साथ ही अन्तिम संस्तुति के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी को मार्क की दी गई थी।
आज दिनांक तक 6 माह बीतने पर भी न तो मंगल सिंह मन्द्रवाल का स्थानान्तरण हुआ और न ही कोई जांच समिति का गठन किया गया।
गम्भीर बात यह भी है कि मुख्यमंत्री के सचिव एवं उच्च शिक्षा विभाग के सचिव शैलेश बगोली है जिनके सज्ञान में पूर्ण प्रकरण है परन्तु इस प्रकरण को अभी तक माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में न लाकर मामले को रफादफा किया जा रहा है जो इंगित करता है कि किसी न किसी स्तर पर कुछ न कुछ दाल में काला है। इससे मुख्यमंत्री की छवि को भी आघात पहुंच सकता है।
मंगल सिंह मन्द्रवाल 2009 से पूर्व गढ़वाल विवि में कार्यरत थे जंहा ये पूर्ण रूप से अस्थाई सेवा में थे। वर्ष 2006 में इनको वहां आन्तरिक विज्ञापन के जरिये सहायक लेखाकार बना दिया गया जबकि यह बी०कॉम की भी योग्यता नही रखते हैं।
इस प्रकरण पर वहां पर भी सरकार द्वारा दिलीप जावलकर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट में मंगल सिंह मन्द्रवाल की नियुक्ति को पूर्णतः गलत पाया गया था, यह प्रकारण भी उच्च शिक्षा विभाग के संज्ञान में है परन्तु इस पर भी कोई कार्यवाही नही की गई।
दिनांक 10 फरवरी 2021 को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दो उप कुलसचिवों को प्रमोशन दिया गया,जिसमें दिनेश चन्द्र को स्थानान्तरण करके कुमाऊं विवि का कुलसचिव बनाया गया लेकिन मंगल सिंह मन्द्रवाल को दून विवि में ही प्रमोशन दे दिया गया जो कि सरासर प्रमोशन नियमावली का उलंघन था।
विवि के कुलसचिव का स्थानान्तरण न करने की एक वजह यह भी हो सकती है कि वर्तमान में दून विवि द्वारा नान टीचिंग के पदों पर विज्ञापन जारी किया गया है । पूर्व में भी नान टीचिंग के पदो पर विज्ञापन जारी किया गया था। जिसमें से चार पदों पर भर्ती भी कर दी गई है। यह संज्ञान में आया है कि दून विवि द्वारा स्वयं ही भर्ती परीक्षा करवाकर अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग भी दे दी है। यह भी संज्ञान में आया है कि दून विवि द्वारा स्वयं ही प्रश्न पत्र बनाकर परीक्षा करवा दी गई। प्रश्नपत्रों को कुलसचिव द्वारा विवि में ही छापा गया एवं स्वयं ही परीक्षा करवाई । इस भर्ती परीक्षा में विवि के सीनियर प्रोफेसरों को दूर रख कर प्रोबेशन अवधि के एक सह प्रध्यापक (गढ़वाल विवि से आये) एवं दो डेपुटेशन पर आये सहायक कुलसचिवों (गढ़वाल विवि से आये) आदि से कार्य लिया गया जो कि दर्शाता है कि विवि में किस प्रकार भर्ती परीक्षा करवाई गई होगी।
इससे पता चलता है कि दून विवि में किस प्रकार की गतिविधियां संचालित हो रही है। जिससे स्पष्ट होता है कि किस कारण से दून विवि के कुलसचिव को कहीं और स्थानान्तरण नही किया जा रहा।
उक्रांद के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने इस सम्बन्ध में एक पत्र मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को इस आशय से भेजा है कि इस पूर्ण प्रकरण पर तत्काल प्रभाव से शासन द्वारा दून विवि के वर्तमान कुलसचिव मंगल सिंह मन्द्रवाल के स्थानान्तरण एवं उनके समस्त शैक्षिक एवं विभागीय योग्यता की जांच के लिये जो संस्तुति की है उस पर कार्यवाही की जाय, साथ ही पूर्व में नान टीचिंग के पदों पर हुई भर्ती परीक्षा की एस०आई०टी / विजीलेन्स से जांच करने हेतु निवेदन किया है। अब देखना यह होगा की शासन कब स्वयं लिये गये निणर्यो पर कार्यवाही करता है।