उत्तराखंड के राज्य कर विभाग सैल्सटैक्स/वैट से वित्तीय वर्ष 2001-02 से 2022-23 (जनवरी 23 तक) 2648.1 करोड़ रू. का टैक्स राजस्व शराब की बिक्री पर वसूला है।
वर्ष 2022-23 का कुल टैक्स राजस्व रू. 361.05 करोड़ वर्ष 2001-02 के रू. 15.90 करोड़ की तुलना में 22 गुणा से अधिक है। यह खुलासा राज्य कर मुख्यालय द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्ीन एडवोकेट नेेे आयुक्त कर कार्यालय से प्रदेश भर में शराब पर वसूले गये टैक्स राजस्व की धनराशियों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में राज्य कर मुख्यालय देहरादून के लोक सूचना अधिकारी/उपायुक्त दीपक बृजवाल ने अपने पत्रांक 7312 से 2020-21 से 20022-23 (जनवरी 2023 तक) के शराब से प्राप्त कर राजस्व की धनराशियों की सूचना उपलब्ध करायी है। इससे पूर्व 2001-02 से 2020-21 तक की धनराशियों की सूचनां उपलब्ध करायी जा चुकी है।
उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड गठन केे बाद वर्ष 2001-02 से 2022-23 (जनवरी 2023 तक) शराब पर विभाग नेे 2648.1 करोड़ टैक्स वसूला है। चौकाने वाली बात यह हैै कि वर्ष 2020-21 में कारोना काल में 2019-20 की तुलना में 39 करोड़ रूपये अधिक टैक्स वसूला गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2021-22 में 334.43 करोड़ रूपये टैक्स वसूला है तथा 2022-23 के जनवरी 2023 तक 10 माह में पिछले वर्ष 2021-22 में 12 महीने में वसूले टैक्स की अपेक्षा 15 करोड़ अधिक टैक्स वसूला गया है।
उपलब्ध आंकड़ों से स्पष्ट है प्रदेश में शराब पर वसूले टैक्स में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। जहां 2001-02 में केवल 15.9 करोड़ टैक्स वसूला गया था जो 2006-07 में बढ़कर दुगने से अधिक 31.79 करोड़ रूपये हो गया तथा 2008-09 में तिगुने से अधिक 50.58 करोड़ तथा 2010-11 में पांच गुने से अधिक 83.98 करोड़ तथा 2014-15 में छः गुने से अधिक 100.55 करोड़ हो गया।
वर्ष 2015-16 में यह 2001-02 की तुलना में 9 गुने से अधिक 2017-18 में 11 गुने से अधिक 185.72 करोड़, 2018-19 में 13 गुने से अधिक 219.76 करोड तथा 2020-21 में 16 गुने से अधिक 268.43 करोड तथा 2021-22 में 21 गुने से अधिक 345.43 करोड तथा 2022-23 में जनवरी 23 तक ही 22.7 गुणा होकर 361.05 करोड़ हो गया।
उपलब्ध आंकड़ोें केे अनुसार शराब केे टैक्स राजस्व 268.43 करोेड़ हो गया है। 2001-02 में शराब सेे टैक्स कमाई 15.90 करोड़, 2002-03 में 18.01 करोड, 2003-04 में 21.08 करोड़, 2004-05 में 21.57 करोड़, 2005-06 में 28.49 करोड़, 2006-07 में 31.79 करोड़, 2007-08 में 37.62 करोड़, 2008-09 में 50.58 करोड़, 2009-10 में 56.82 करोड़, 2010-11 में 83.98 करोड़, 2011-12 में 92.12 करोड़, 2012-13 में 108.09 करोड़, 2013-14 में 89.77 करोड़, 2014-15 में 100.55 करोड़, 2015-16 में 145.17 करोड़, 2016-17 में 146.76 करोड़, 2017-18 में 185.72 करोड़, 2018-19 में 219.76 करोड़, 2019-20 में 219.50 करोड़ तथा 2020-21 में 268.43 करोड़, 2021-22 में 345.43 करोड़ तथा 2022-23 में जनवरी 2023 तक 361.05 करोड़ हो गयी।