हरिद्वार की तीसरी बड़ी गुमशुदगी बन गये हैं मोहनदास
कुमार दुष्यंत/हरिद्वार
हरिद्वार अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत मोहनदास हरिद्वार से लापता हुए बड़े लोगों की रहस्यमयी गुमशुदगी का हिस्सा बन गये हैं।ढाई महीने बाद भी पुलिस उनका कोई सुराग नहीं लगा पायी है।उनकी तत्काल बरामदगी को लेकर पुलिस को हड़काने वाला संत समाज भी अब चुप होकर बैठ गया है।जिसके बाद अब महंत मोहनदास का नाम भी हरिद्वार से लापता हुए बड़े व्यक्तियों की अनसुलझी गुत्थियों का हिस्सा बन गया है।
हरिद्वार के प्रतिष्ठित बड़ेे अखाड़े के कोठारी एवं देशभर के संतों के संगठन अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता मोहनदास पंंद्रह सितंबर को हरिद्वार से मुंबई के लिए निकले थे।तब से उनका कोई अता-पता नहीं है।एसटीएफ की उन्हें खोजने की अबतक की कवायद का कोई नतीजा नहीं निकला है।शुरू से ही जल्द महंत को खोज लेने के दावे कर रही पुलिस अब तक मोहनदास का कोई सुराग नहीं ढूंढ पायी है।महंत मोहनदास के न मिलने पर दिल्ली को हिला देेेने की हुंकार भरने वाले संतों के सुर भी अब ठंडे पड़ गये हैं।जिससे लगता है कि अब मोहनदास भी हरिद्वार से लापता हुए लोगों की अनसुलझी पहेलियों का हिस्सा बन जाएंगे।
महंत मोहनदास हरिद्वार से लापता होने वाले वह तीसरे बड़े शख्स हैं,जो पुलिस-प्रशासन के पूरे दमखम के बाद भी अनसुलझा रहस्य बन गये हैं।इससे पूर्व ऐसे ही लापता होने वालों में हरिद्वार पुलिस के आइपीएस धूमसिंह तोमर व बाबा रामदेव के गुरु शंकरदेव रहे हैं।2003 में हरिद्वार के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक धूमसिंह तोमर 23 सितंबर को जब शाम को घर से सायंकालीन भर्मण पर निकले तो फिर उसके बाद घर नहीं लौटे।अगली सुबह गंगा किनारे उनके जूते व चश्मा मिला। गंगा को बंद कर खंगाला गया।फिर मामला सीबीसीआईडी से होते हुए सीबीआई तक गया।लेकिन आजतक गुमशुदा डीएसपी का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
वर्ष 2007 की 12 जुलाई को ऐसे ही अपने कृपालु बाग आश्रम से स्वामी रामदेव के गुरु शंकरदेव लापता हो गये थे।इसको लेकर दिल्ली तक हडकंप मचा।स्थानीय पुलिस प्रशासन के विफल रहने पर शंकरदेव को ढूंढने का जिम्मा सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया। छह साल की कवायद के बाद सीबीआई ने भी हाथ खड़े कर दिये। शंकरदेव कहां हैं।यह आज पंद्रह साल बाद भी कोई नहीं जानता।महंत मोहनदास अब इन बड़ी गुमशुदगियों का तीसरा नाम बन कर रह गये हैं!