कुमार दुष्यंत
हरिद्वार । यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो हरिद्वार स्थित पर्यटन विभाग का अतिथिगृह ‘अलकनंदा’ जल्द ही उत्तराखंड सरकार की सम्पत्ति बन जाएगा।14 दिसंबर को उत्तराखंड व यूपी के सचिव माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इसको लेकर चल रहे वाद के निपटारे की अपील कर सकते हैं।
हरिद्वार में दिल्ली हाईवे व गंगा के बीच सुरम्य तट पर स्थित अलकनंदा अतिथिगृह को लेकर पिछले तेरह वर्षों से यूूपी व उत्तराखंड के मध्य विवाद चल रहा है।राज्य गठन के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने हरिद्वार में स्थित दो अतिथिगृहों में से राही मोटल तो उत्तराखंड को सौंप दिया।लेकिन अलकनंदा अतिथिगृह को यूपी पर्यटन निदेशालय द्वारा सृजित सम्पत्ति बताते हुए इसकी चाबी उत्तराखंड को सोंपने से साफ इंकार कर दिया था।
वर्ष 2004 में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप पर जब तत्कालीन पर्यटन अधिकारी योगेन्द्र गंगवार इस होटल पर कब्जा लेने पहुंचे।तो यूपी के अधिकारियों ने उन्हें मामला कोर्ट में पहुंच जाने का हवाला देकर बैरंग लौटा दिया।तभी से ये ईमारत यूपी के अधीन है और मामला न्यायालय में।
पिछले दिनों न्यायालय ने इस सम्पत्ति को लेकर यूपी व उत्तराखंड के बीच विवाद को बच्चों जैसी लड़ाई बताते हुए दोनों राज्य सरकारों को जल्द इसका समाधान ढूंढने के निर्देश दिये थे।जिसके बाद मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव स्तर की वार्ताओं में अलकनंदा उत्तराखंड को सोंपने पर सहमति बन गयी है।उम्मीद है कि नये वर्ष में हरिद्वार की बेशकीमती लोकेशन पर स्थित इस खूबसूरत अतिथिगृह का औपचारिक हस्तांतरण उत्तराखंड को हो जाएगा।
इस अतिथिगृह का निर्माण 1966 में उप्र पर्यटन विभाग द्वारा किया गया था।पहले यह मात्र छह कमरों का अतिथिगृह था।जिसे टूरिस्ट बंगले के नाम से जाना जाता था।बाद में इसका विस्तार करते हुए इसे आधुनिक सुविधाओं से युक्त कर इसका नाम अलकनंदा रखा गया।सालाना करीब तीन करोड़ रुपये की आय करने वाले इस अतिथिगृह में आज भी यूपी के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि ठहरना अपनी शान समझते हैं।