उत्तराखंड के वन क्षेत्र में पाए जाने वाला इंद्र जौ का पौधा पर्यावरण के साथ ही मानव स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है।
उत्तराखंड के वन क्षेत्र में पाए जाने वाला इंद्र जौ का पौधा मियादी बुखार को जड़ से दूर करने में कारगर है।
बीएचयू आयुर्वेद विभाग के रस संकाय प्रमुख डॉ. देवनाथ सिंह इस दुर्लभ वन औषधि पर शोध कर चुके हैं। उन्होंने दावा किया है कि यह रक्त विकार को भी दूर करने में असरकारी है।इसके फल, फूल और छाल मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी हैं।
जंगली इंद्र जौ से आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली फार्मा कंपनियां आयुर्वेदिक दवा तैयार कर मोटी कमाई कर रही हैं। वन क्षेत्रों से इसके फल,फूल और छाल को खरीद कर दवा तैयार करती है।
जंगली इंद्र जौ सिर्फ पर्णपाती वन क्षेत्र में ही पाया जाता है,इसका उपयोग मियादी बुखार के साथ अन्य बीमारियों में भी किया जा सकता है। इसमें कफ, वात और पित्त की असमानता को दूर कर रोग को जड़ से समाप्त करने की क्षमता है।
दवा बनाने वाली कंपनियों को इंद्र जौ के फल, फूल मुहैया कराने वाले आदिवासियों को मामूली पारिश्रमिक मिलता है। जबकि कम्पनियां इसे अपना ब्रांड बनाकर मोटी रकम कमा रही हैं।
उत्तराखंड के अलावा मध्य प्रदेश और सोनभद्र के दक्षिणांचल में भी इंद्र जौ के पौधे पाए जाते हैं।