स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल नगर पालिका के अध्यक्ष सचिन नेगी की प्रशासनिक और वित्तीय शक्ति सीज करने और अधिशासी अधिकारी को सस्पेंड करने के खिलाफ दायर पुनःविचार(रिव्यू)याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने निलंबित अधिशाषी अधिकारी को शासन के सामने पत्र लिखकर राहत मांगने की इजाजत दे दी है। इधर सचिन नेगी ने कहा कि जांच में उनके खिलाफ कोई वित्तीय अनियमितता नहीं मिली है।
पूर्व में स्पेशल बेंच में रिव्यू याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार से जांच रिपोर्ट देने को कहा था। आज न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी गई। आपको बता दें कि हो कि फ्लैट मैदान में एक अक्टूबर से पांच नवम्बर तक झूले संचालन का टेंडर नगर पालिका ने देहरादून निवासी रमेश सजवाण को दिया था। इसके खिलाफ काशीपुर निवासी कृष्ण पाल भारद्वाज ने याचिका दायर कर इस टेंडर को नियमविरुद्ध बताया। इस याचिका की सुनवाई में उच्च न्यायालय ने फ्लैट मैदान में झूलों के टेंडर आवंटन में प्रथम दृष्टिया नियमों की अवहेलना होने पर झूले के संचालन को बन्द करा दिया और पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार सीज करते हुए अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल को निलंबित कर दिया था। इस आदेश में संशोधन के खिलाफ दोनों ने रिव्यू याचिका दायर की।
न्यायालय ने सी.एस.सी.चंद्रशेखर सिंह रावत से कहा कि रिपोर्ट से ये देखें कि सस्पेंशन ठीक है या नहीं।अध्यक्ष सचिन नेगी के अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने ऑनलाइन अपनी बात कही। सस्पेंडेड अधिशाषी अधिकारी आलोक उनियाल के अधिवक्ता देवेंद्र पाटनी ने न्यायालय से अपने क्लाइंट को राहत देने के लिए बहस की। न्यायालय ने रिव्यू ऐपलोकेशन डिसमिस करते हुए आलोक उनियाल को शासन में एप्लिकेशन देकर अपनी बात रखने को कहा है।
नगर पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि उनके मामले की जांच रिपोर्ट में वित्तीय अनिमितताओं का कहीं जिक्र नहीं है। जांच में जो अनियमितताएं मिली हैं, वो तकनीकी अनियमितताएं हैं जैसे यू.डी.आई.नंबर गलत होना और उसके लिए पालिका के प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस भेजा गया है। उन्होंने अपने कार्यकाल के खत्म होने से एक दिन पूर्व दी जांच रिपोर्ट के लिए राज्य सरकार को भी धन्यवाद दिया है। सचिन ने अपने अधिशाषी अधिकारी रहे आलोक उनियाल को भी न्यायालय से हल्की राहत मिलने पर खुशी जाहिर की।