गिरीश गैरोला।
सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवान ने अपने परिवार की खुशहाली के लिए और अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए गांव से अपने परिवार को जिला मुख्यालय में इस उम्मीद से शिफ्ट किया था कि आगे चलकर उसके बच्चे अच्छी शिक्षा लेकर उसका नाम रोशन करेंगे और इसके लिए उसने गांव में अपनी खेती और पशुओं के काम से हटाकर अपनी पत्नी को जिला मुख्यालय में किराए के कमरे में रखा था । गांव के माहौल से शहरी परिवेश में आते ही दो बच्चों की मां को प्रेम का ऐसा रंग चढ़ा कि वह अपने दो बच्चों को परवाह न करते हुए अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई।
कहानी अकेले इस फौजी की नहीं है बल्कि तमाम उन युवाओं की है जो रोजगार की तलाश में मैदानों का रुख करते हैं । कड़ी मेहनत और खून पसीने से इस उम्मीद बहाकर इस उम्मीद से मेहनत करते हैं, कि उसकी मेहनत से उसके बच्चो को जिंदगी में बेहतर अवसर मिल सकेंगे, किंतु पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव में आ चुके शहरों और कस्बों में युवाओं की सोच ने इस सामाजिक प्रथा पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। भटिंडा पंजाब में तैनात सेना के इस जवान को फोन पर सूचना मिली कि उसकी पत्नी घर पर नहीं है।
घबराया फौजी दौड़ा दौड़ा अपने घर पहुंचा तो उसके पिता ने जो कहानी सुनाई उसके बाद आधुनिकता की पहरेदारी कर रहे लोगों के जवान पर ताला लग लगने लाजमी है। गांव में रह रहे फौजी के पिता ने बताया कि उसकी बहू ने फोन पर बताया था कि उसे शादी ब्याह के कार्यक्रम में अपने मायके जाना है लिहाजा वह 2 दिन के लिए बच्चों के पास आ जाएं। बुजुर्ग गांव से किराए के मकान में रह रहे अपने नाती-पोतों के बीच पहुंचे किंतु शादी के नाम पर घर से गई बहु वापस नहीं लौटी, जिसके बाद थाना कोतवाली उत्तरकाशी में गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस ने मोबाइल सर्विलांस के आधार पर देहरादून में एक युवक के साथ मुक्त उक्त महिला को गिरफ्तार कर लिया बताते चलें कि जिस पुरुष के साथ महिला भागी थी वह भी दो बच्चों का बाप है। गिरफ्तारी के बाद आरोपी महिला को न्यायालय में पेश किया गया जहां 164 के बयान में उसने अपनी मर्जी से घर से निकलने की बात कही । साथ ही यह भी कहा कि वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहते हैं । महिला के इस बयान के बाद महिला के पति ने भी उसको अपने साथ लेने से इंकार कर दिया और महिला के मायके पक्ष ने भी उसे अपने घर ले जाने से इंकार कर दिया। इसके बाद मजबूरी में दोनों को पुलिस हिरासत से बरी कर दिया गया। फौजी ने बताया की तरफ से न्यायालय में 498 आईपीसी के अंतर्गत जार कर्म करने के जुर्म में मामला दर्ज कराया गया है।
पूरी घटना में अपने परिवार से बिखरे हुए कुछ महिलाओं और पुरुषों का ऐसा गिरोह सामने आया है जो ऐसी घटना करने के लिए भोले भाले ग्रामीण लोगों को प्रेरित करते हैं।
फिलहाल दो मासूम बच्चों के साथ उसके दादा – दादी गांव छोड़कर शहर में आ गए हैं और फौजी अपनी ड्यूटी पर पंजाब चला गया है, किंतु एक सवाल उन सभी नौजवानों के लिए छोड़ गया है जो रोजगार की तलाश में लगातार पलायन कर रहे हैं और शिक्षा के नाम पर उनके परिवार गांव की खुली हवा से को छोड़कर शहरों के घोसलानुमा कमरों में निवास कर रहे हैं। आधुनिक बनने की होड़ में पाश्चात्य सभ्यता ने समाज मैं घुन की तरह जिस बीमारी को पैदा कर दिया है उसका इलाज तलाशने में लंबा समय लगेगा।