मुकेश रतूड़ी, नई टिहरी। टिहरी बांध पुनर्वास निदेशालय में जमीन की हेराफेरी मामले में आरोपी जिला न्यायालय में तैनात अपर शासकीय अधिवक्ता की आत्म समर्पण प्रार्थना पत्र पर सीजेएम कोर्ट ने आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।बताते चलें कि 24 जून 2015 को टिहरी बांध पुनर्वास के तत्कालीन अधिशासी अभियंता द्वारा नई टिहरी थाने में भूखंड आवंटन संबंधी पत्रावली गायब करने और भूखंड विक्रय करने के बाद परिवर्तन की मांग करने के मामले में अधिवक्ता अरविंद खरोला, भूखंड स्वामी रमेश चंद्र और पुनर्वास के वार्ड सहायक होशियार सिंह सजवाण के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। तहरीर में बताया गया था कि रमेश चंद्र पुत्र महेंद्र को वर्ष 2000 में बौराड़ी में भूखंड आवंटित किया गया था। भूस्वामी ने प्लाट बेचने की सूचना दिए बगैर भूखंड बदलने के लिए आवेदन किया। जिसकी फाइल निदेशालय से गायब हो गई थी। फाइल उपलब्ध कराने के लिए विक्रेता की ओर से आरटीआई के तहत सूचना मांगी। लेकिन फाइल गायब होने के कारण सूचना नहीं दी जा सकी। जिस पर प्रार्थी की ओर से सूचना आयोग में अपील की गई। जिसके निस्तारण में सूचना आयोग ने तत्कालीन वार्ड सहायक होशियार सिंह सजवाण के विरुद्व प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे। भूखंड बेचने के बाद परिवर्तन करने की मांग करने और अधिवक्ता की ओर से सत्यापित हस्ताक्षर में भिन्नता होने से गड़बड़ी सामने आई थी। थाना टिहरी ने इसकी चार्जशाीट कोर्ट में पेश कर दी थी। इस बीच वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आरोपी अधिवक्ता अरविंद खरोला को जिला न्यायालय में अपर शासकीय अधिवक्ता नियुक्त किया था। मामला कोर्ट में विचारधीन था। गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी अधिवक्ता हाईकोर्ट भी गए थे लेकिन 12 अक्तूबर 2017 को हाईकोर्ट के न्यायाधीश यूसी ध्यानी की अदालत ने आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार दिया था। सोमवार को आरोपी अधिवक्ता ने सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिस पर प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सचिन पाठक की अदालत ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।