निर्धारित समय से एक हफ्ता देर से बीआरओ ने तैयार किया अस्थाई पुल
18 टन तक के लोड के लिए सक्षम है गंगोरी पुल
लोड अधिक होने पर वाहन से सामान निकालकर पार किए जाएंगे वाहन
गिरीश गैरोला//
उत्तरकाशी जनपद को चीन सीमा से जोड़ने वाला एकमात्र गंगोरी पुल को बीआरओ ने 24 दिन बाद तैयार कर लिया हालांकि पुल को 15 दिन में तैयार करने का भरोसा दिया गया था किंतु निर्धारित समय से 1 सप्ताह बाद पुल तैयार हो सका ।गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत ने 14 दिसंबर को ध्वस्त हुए पुल को दोबारा बनाए जाने पर विधिवत रूप से पुल का उद्घाटन किया ।
गौरतलब है 14 दिसंबर की सुबह चीन सीमा को जोड़ने वाला एकमात्र गंगोरी पुल दो हैवी ट्रकों के एक साथ पुल पर पास होने के बाद ध्वस्त हो गया थ।
7 जनवरी को वैली ब्रिज तैयार हो गया था जिसका बुधवार को विधिवत उद्घाटन किया गया ।स्थानीय निवासी दिग्विजय सिंह की माने तो सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस स्थान पर बार-बार अस्थाई वैली ब्रिज बनाकर करोड़ों के धन की बर्बादी हो रही है। ढाई करोड़ के इस अस्थाई पुल पर फिर से अस्थाई पुल को उन्होंने औचित्यहीन बताया और मांग की है कि इस स्थान पर स्थाई पुल का निर्माण किया जाए ताकि चीन सीमा तक एवं गंगोत्री मंदिर तक सड़क चौड़ीकरण एवं अन्य निर्माण कार्यों के लिए हैवी अर्थ मूवर मशीन और अन्य सामग्री आसानी से ले जाए जा सके । उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह से पुल पर धन की बर्बादी होती रही तो उन्हें इसके लिए आंदोलन शुरू करना पड़ेगा।
सामरिक दृष्टि से चीन सीमा से जुड़ने वाले इस स्थान पर बार-बार अस्थाई पुल निर्माण किए जाने को लेकर मीडिया द्वारा किए गए सवाल पर 36 बीआरटीएफ के कमांडर सुनील श्रीवास्तव ने बताया चार धाम यात्रा मार्ग का एलाइनमेंट दूसरी तरफ जाने के संभावित प्रस्ताव को देखते हुए दो जगह पुल पर धन की बर्बादी को रोकने के लिए इस स्थान पर स्थाई पुल नहीं बनाया जा रहा था किंतु इस दुर्घटना के बाद सबक लेते हुए इस स्थान से 40 मीटर नीचे 70 मीटर स्पान का स्थायी पक्का पुल निर्मित किया जाएगा । और तब तक के लिए उन्होंने आश्वासन दिया कि भारी वाहनों से सामान निकालकर पुल से पार कराया जाएगा और सेना के रसद और अन्य साजो-सामान की पहुंच गए कोई दिक्कत नहीं होगी। बताते चले कि इस स्थाई पुल पर केवल 18 टन लोड को ही ले जाने की अनुमति है।
मौके पर मौजूद डीएम आशीष चौहान ने बताया 14 दिसंबर को ध्वस्त हुए गंगोरी पुल को 15 दिन में युद्ध स्तर पर तैयार करने के निर्देश दिए गए थे । गंगोरी में अस्थाई पुल के स्थान पर पक्का स्थायी पुल बनाने को लेकर पूछे गए सवाल पर dm ने बीआरओ के साथ बैठक कर जल्द देरी के कारणों पर आवश्यक निर्देश देने के बात कही है।
एक तरफ लोक निर्माण आपदा खंड उत्तरकाशी साडा गांव में जंगल जाने के लिए इंद्रावती नदी पर 5 करोड़ का पक्का स्थाई पुल का निर्माण कर रहा है , वहीं चीन सीमा की तरफ जाने वाले एकमात्र गंगीरी पुल पर बार-बार हादसों के बाद भी अस्थाई पुल निर्मित किए जाने को लेकर बीआरओ के कमांडर सुनील श्रीवास्तव का बयान सोचने को विवश करता है कि चीन सीमा पर डोकलाम विवाद के बाद क्या हमारी यही तैयारी है कि हादसों के बाद ही सबक लेंगे ? गंगोरी पुल हादसे में अस्थाई पुल ध्वस्त होने के बाद फिर से अस्थाई पुल निर्माण करने को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाले को चीन सीमा पर कठिन परिस्थिति में पहरा दे रहे जवानों के बारे में कुछ तो सोचना चाहिए। क्या आग लगने पर कुआं खोदने की तुम्हारी पुरानी आदत में बदलाव नहीं होना चाहिए?