केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा बैठक ने टिहरी सांसद के सामने भरी बैठक में हुई तू-तू मैं-मैं। एस सीपी योजना में बनना था बारात घर। विधायक ने लगाया जानबूझकर अड़ंगे लगाने का आरोप। अधिकारी बोलते रहे मानक में नही आता है विधायक दबाव डालकर करवाना चाहते है काम। डीएम सांसद के बीच बचाव से थमा मामला। अपनी ही सरकार में विधायक कर रहे शिकायत। कांग्रेस से चुनाव के दौरान बीजेपी मे शामिल हुए थे केदार ।
गिरीश गैरोला
जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति की बैठक में समाज कल्याण अधिकारी और विधायक यमुनोत्री केदार सिंह रावत के बीच स्पेशल कंपोनेंट प्लान की एक योजना को लेकर तू तू मैं मैं हो गई ।समाज कल्याण अधिकारी ने भरी बैठक में इस योजना को मानक में नही होने की बात कहकर आगे भेजने से साफ इंकार कर मामले को और संजीदा बना दिया।
डीएम आशीष चौहान और टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने प्रतिनिधियों के साथ संयमित भाषा का प्रयोग करने की नसीहत दी और मामले को किसी तरह शांत कराया। गुस्साए विधायक ने भी कार्य में ढिलाई बरतने को लेकर अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने और योजना का धन इधर उधर करने को लेकर पूरे धन की रिकवरी करने की चेतावनी दी।
यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत ने कहा कि उनके घोषणापत्र में यमुनोत्री राजमार्ग पर गंगनानी में एसीपी योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह केंद्र बनाया जाना था। जिससे समाज का श्रम, समय और पैसा तीनों की बचत होती । गंगनानी में इस मॉडल बरात घर के बाद अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के सामूहिक कार्य किए जा सकते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि समाज कल्याण अधिकारी जी एस रावत ने नियमों के विपरीत एस्टीमेट भेज दिए और उसमें जरूरी सर्टिफिकेट नहीं लगाया । जिसके चलते फाइल शासन में ही अटक गई । विधायक ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया कि पांच दस हजार के ठेकेदारी के काम को तत्काल प्रमाण पत्र भी मिल जाता है और स्वीकृति भी जबकि समाज की सामुहिक जरूरत के इस निर्माण कार्य को बिना वजह अड़ंगे लगाकर रोका जा रहा है और पूछने पर इस तरह का व्यवहार किया जाता है। विधायक केदार ने अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने और इस योजना के धन को अन्यत्र भेजने की स्थिति में रिकवरी भी करने की चेतावनी दी।
एक ओर जहां केंद्र की बीजेपी सरकार वर्ष 2019 के चुनाव के लिए जनता की नब्ज टोटल कर अपने रिपोर्ट कार्ड में अंक बढ़ाने की फेर में है वहीं केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा बैठक में विधायकों को अपनी योजना के लिए अधिकारियों से भिड़ने की नौबत आ गयी है। अब डबल इंजिन को जनता की नब्ज टटोलने की बजाय अपने विधायकों की शिकायत दूर करने की पहल शुरू करने की जरूरत है।