गिरीश चंदोला | चमोली
थराली/देवाल: चमोली जिले के बेराधार के बमोटिया तोक में पिछले 70 वर्षों से रह रहे परिवारों को वन विभाग द्वारा भूमि खाली करने के नोटिस जारी किए गए हैं। वन विभाग के इस आदेश से लगभग 65-70 परिवारों पर आवास संकट मंडरा गया है। ग्रामीणों ने सरकार से इन नोटिसों को वापस लेने और वन भूमि पर दशकों से रह रहे परिवारों को मालिकाना हक देने की मांग की है।
सरकार की योजनाओं का लाभ, फिर भी बेदखली का आदेश
बमोटिया गांव में सरकार की ओर से प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, पोलिंग बूथ जैसे संस्थान स्थापित किए गए हैं। यही नहीं, इन परिवारों को जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिलता रहा है। बावजूद इसके, वन विभाग ने 20 फरवरी तक भूमि खाली करने का नोटिस थमा दिया, जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
तहसील में धरना, उग्र आंदोलन की चेतावनी
सोमवार को थराली तहसील परिसर में ग्रामीणों ने धरना देकर अपना विरोध दर्ज कराया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
राजनीतिक मुद्दा बना मामला, विधायक ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
वन विभाग के इस कदम पर विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। पहाड़ी क्षेत्रों में दशकों से बसे भूमिहीनों को बेदखली का नोटिस देकर सरकार विरोध के नए मोर्चे को आमंत्रण दे रही है।
थराली से भाजपा विधायक भूपालराम टम्टा ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बमोटिया सहित अन्य क्षेत्रों में वन भूमि पर रह रहे परिवारों के लिए भूमि के नियमितीकरण और मालिकाना हक देने की मांग की है।
ग्रामीणों की उम्मीद सरकार से
ग्रामीणों को अब उम्मीद है कि सरकार उनकी दशकों पुरानी बसावट को मान्यता देगी और उनके पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना उन्हें बेदखल नहीं किया जाएगा।


