अजब-गजब: प्रधानमंत्री पोषण योजना में करोड़ों का घोटाला। आउटसोर्स कर्मचारी के खाते में पहुंचा सरकारी पैसा..

देहरादून
प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत देहरादून में बड़ा आर्थिक घपला सामने आया है। शिक्षा विभाग के देहरादून स्थित कार्यालय में एक आउटसोर्स कर्मचारी पर आरोप है कि उसने योजना के अंतर्गत आवंटित होने वाली सरकारी धनराशि को विभागीय खाते में जमा कराने के बजाय अपने निजी बैंक खाते में स्थानांतरित करवा लिया।

मिली जानकारी के अनुसार,यह घोटाला वर्ष 2022 से लगातार जारी था और अब तक करीब दो करोड़ रुपये से अधिक की रकम उक्त कर्मचारी के खाते में ट्रांसफर की जा चुकी है। इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।

अब मामला खुलने के बाद परियोजना से जुड़े सभी रिकार्ड और अब तक हुए सभी वित्तीय लेन-देन की गहराई से जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में यह रकम काफी बड़ी निकल रही है और इससे जुड़े कई तथ्य सामने आ चुके हैं।

एफआईआर की तैयारी और विभागीय हलचल
घपले की जानकारी मिलने के बाद आरोपी कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी चल रही है। वहीं शिक्षा निदेशालय (ननूरखेड़ा) और मयूर विहार स्थित दफ्तरों में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

सूत्रों का कहना है कि यह मामला दो दिन पहले ही उजागर हो गया था, लेकिन अफसरों ने इसे दबाए रखने की कोशिश की। शनिवार दोपहर को मीडिया के ज़रिए यह मामला सार्वजनिक हुआ।

सिर्फ आउटसोर्स कर्मचारी या बड़ा नेटवर्क?
इस पूरे मामले में एक अहम सवाल उठ रहा है कि क्या केवल एक आउटसोर्स कर्मचारी ही इतनी बड़ी वित्तीय हेराफेरी को अकेले अंजाम दे सकता है? विभाग के कई कर्मचारी और जानकार इसे मानने को तैयार नहीं हैं।

सूत्रों का मानना है कि इस घोटाले में विभाग के कुछ अधिकारी और अन्य कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। विभाग के कई कर्मचारियों ने इस बात की ओर इशारा किया है कि अफसरों द्वारा संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को ज़िम्मेदार पदों पर बैठाया गया है, जबकि नियमित कर्मचारियों की जवाबदेही होती है और उन्हें दरकिनार किया जा रहा है।

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस घपले में कार्यालय के अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है और उनके विवरण एकत्र किए जा रहे हैं।

क्या कहते हैं जानकार

  • शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2022 से अब तक एक ही व्यक्ति लगातार फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया में सक्रिय रहा, यह अफसरों की जानकारी के बिना मुमकिन नहीं लगता।
  • घोटाले का ठीकरा “उपनल” के जरिए तैनात आउटसोर्स कर्मी पर फोड़ा जा रहा है, लेकिन इसकी परतें अभी खुलनी बाकी हैं।
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