भूपेंद्र कुमार
देहरादून कभी रिटायर अफसरों का शहर कहलाया जाता था। पिछले 10-15 वर्षों में राज्य गठन के बाद युवा आबादी यहां बड़ी तेजी से बढ़ी किंतु आत्मकेंद्रित रिटायर अफ़सरों के दिल कभी इस नई आबादी के लिए नहीं खुल पाए।
देहरादून के पुराने बने घरों की चाहरदीवारियां और ऊंची हो गई। उनके ऊपर जमे कांच के टुकड़ों की जगह लोहे की एंगल पर कसे हुए कंटीले तारों ने ले ली।
जहां कुछ कॉलोनियां पहले से ही बनी हुई थी, उन्होंने शुरुआत में एक सार्वजनिक गेट लगा दिया तो कहीं इन गेटेड कम्युनिटी ने स्थाई बैरियर लगा दिए हैं।
तेजी से बढ़ते वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए कॉलोनी वासियों ने जगह-जगह बैरियर और स्पीड ब्रेकर की संख्या में कई गुना वृद्धि कर ली है। किंतु नई पीढ़ी के जोश को भला सभ्यता का पुराना दौर कब रोक पाया है !
इसके कारण पुराने देहरादून और नए देहरादून में एक तरह का द्वंद और टकराव भी कई बार देखने को मिल जाता है। उदाहरण के तौर पर देहरादून के आराघर क्षेत्र में नेहरू कॉलोनी को जोड़ने वाली सड़क के बीच तकरीबन 200 मीटर की एक रोड है, जिसके दोनों तरफ मॉडल कॉलोनी बसी हुई है।
मुख्य सड़क पर ट्रैफिक के बढ़ते दबाव के कारण ट्रैफिक मॉडल कॉलोनी की रोड से होता हुआ नेहरू कॉलोनी होते रिस्पना पुल के पास मिल जाता है। अथवा रिंग रोड जोगीवाला की तरफ निकल जाता है।
मॉडल कॉलोनी की सड़क पर बढ़ते वाहनों की आवाजाही से परेशानी महसूस कर कॉलोनी वासियों ने मात्र 200 मीटर की सड़क पर अपने राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए 14 स्पीड ब्रेकर और एक ओवर हेड बैरियर क्षेत्रीय विधायक खजानदास की विधायक निधि से बनवा डाले।
इतने सारे स्पीड ब्रेकर बन जाने से नेहरू कॉलोनी और आसपास के लोग शिकायतें करने लगे। इन शिकायतों का संज्ञान लेकर इस संवाददाता ने जब मॉडल कॉलोनी का मुआयना किया तो पता चला कि मॉडल कॉलोनी वासियों ने न सिर्फ 14 स्पीड ब्रेकर बनाए थे, बल्कि 6 फुट ऊंचा एक फिक्स बैरियर भी सड़क के बीचों-बीच लगवा दिया था, जिससे कभी भी कोई गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
इसी कॉलोनी में रहने वाले लोगों में से यदि कभी कोई गंभीर घायल व्यक्ति एंबुलेंस के जरिए आना-जाना चाहे तो एंबुलेंस इस बैरियर के कारण कॉलोनी में नहीं आ जा सकती और यदि कहीं अग्निकांड भी होता है तो इस अवैध बैरियर के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी इस बैरियर के नीचे से नहीं निकल सकती।
इस संवाददाता ने पहले पुलिस विभाग से सूचना के अधिकार में इसकी जानकारी ली। एसएसपी कार्यालय ने आरटीआई में जवाब दिया कि यह बैरियर एंबुलेंस अथवा फायर ब्रिगेड के सही स्थान में पहुंचने में रुकावट है, जो कभी भी खतरनाक सिद्ध हो सकता है। किंतु पुलिस ने बैरियर को रूकावट और खतरनाक मानते हुए भी अपनी तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की।
इसकी शिकायत जब जिलाधिकारी से की गई तो उन्होंने तत्काल बैरियर हटाने की निर्देश दिए। किंतु अभी तक बैरियर को हटाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
सूचना के अधिकार में जानकारी मिली थी कि यह सड़क भी नगर निगम की है और 200 मीटर की दूरी के अंतर्गत दो स्पीड ब्रेकर से अधिक नहीं बनाए जा सकते। यह स्ट्रिप स्पीड ब्रेकर लोक निर्माण विभाग ने विधायक के दबाव में बनवाए थे।विधायक का कहना था कि उन्होंने यह ब्रेकर कॉलोनी वासियों की मांग के कारण बनवाने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि सड़क पर बना हुआ ओवरहेड स्पीड ब्रेकर स्थानीय विधायक खजानदास की विधायक निधि से बनाया गया है। विधायक खजानदास का कहना है कि इस ओवरहेड बैरियर को बनाने की स्वीकृति उन्होंने कॉलोनी के कई सारे गणमान्य लोगों के काफी दबाव डलवाने के बाद ही दी थी।कॉलोनी में पूर्व जिलाधिकारी से लेकर कई बड़े डॉक्टर इंजीनियर आदि गणमान्य लोग रहते हैं। उन्होंने कई बार मुलाकात की तो उन्हें जनहित में स्वीकृति देनी पड़ी। बकौल खजानदास- ” यदि यह बैरियर हटाया जाता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है”।
मुख्य सड़कों पर बढ़ते वाहनों के दबाव के कारण विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने वाली आंतरिक सड़कों पर भी ट्रैफिक डाइवर्ट हो ही जाता है। ऐसे में यदि इन आंतरिक सड़कों के किनारे बसी कॉलोनियों के लोग मनमाने ढंग से सड़कों पर स्पीड ब्रेकर, ओवरहेड बैरियर और गेट लगाने लगेंगे तो आने वाले समय में इस तरह का टकराव बढ़ने की संभावना है।