होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी भर्ती मे चयनित अधिकतर अभ्यर्थी वो हैं जिनका सीधा संबंध होम्योपैथिक निदेशालय या फिर अध्यक्ष चिकित्सा चयन बोर्ड से है।
उक्त भर्ती मे इतनी धांधली हुई है कि SC की पोस्ट थी 6 और सेलेक्शन हुआ 8 का।
OBC मे भी पोस्ट नही थी परंतु obc कैंडिडेट को भी जनरल मे जगह दी गयी।
क्या जनरल मे योग्य उम्मीदवार नही थे?
उक्त भर्ती पहले भी संदेह के घेरे मे रही परंतु फिर भी इस भर्ती मे लिखित परीक्षा का आयोजन नही किया गया और तर्क दिया गया कि जब तक कैंडिडेट 1500 से उपर नहीं होंगे , लिखित परीक्षा का आयोजन नही किया जायेगा। मजे की बात यह है की अभी तक भी राज्य मे 1500 डाक्टर्स का रजिस्ट्रेशन नही हुआ है, फिर ये रूल यहाँ लागू कैसे हो सकता है !
मतलब साफ है कि जो लोग सिस्टम मे बैठे हैं उनको अपने लोगों को साक्षात्कार से सीधे भर्ती करना था,श।
ऐसा भी हुआ है कि अपने चहेते अभ्यर्थी से आवेदन करने की अंतिम तिथि के बाद भी आवेदन पत्र जमा कर उनका चयन किया गया है।
जिसका उदहारण मैरिट लिस्ट में 1 नंबर पे चयनित अभ्यर्थी जिसका का रोल नंबर 540 है इसी तरह क्रमांक 11 पे चयनित जिनका अनुक्रमांक 569 है, एवम् क्रमांक 24 पर रोल नंबर 571 है दिया गया है।
इसके अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य के सरकारी विभागों में संविदा पे कार्यरत अभ्यर्थियों को वरीयता ना देकर प्राइवेट निगम में कार्यरत अभ्यर्थी एवम् बिना अनुभव के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 60 अंक में से 58-59 अंक देकर चयनित किया है जो कि नियम विरुद्ध है।
उक्त चयन में किसी विभागीय दलाल की संलिप्तता की जाँच CBI या SIT द्वारा करायी जाये तू कुछ नहीं परतें खुल सकती हैं।


