पिरूल से आजीविका, वन संरक्षण और महिला सशक्तिकरण की नई दिशा

माणिकनाथ रेंज देवप्रयाग, नरेन्द्रनगर वन प्रभाग द्वारा स्थानीय ग्रामीण महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों और छात्राओं के लिए जामणीखाल में 1 से 3 दिसंबर 2025 तक पिरूल (चीड़ की सूखी पत्तियाँ) से कलाकृति एवं हस्तशिल्प उत्पाद बनाने पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। यह पहल न सिर्फ महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा देती है, बल्कि जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं को कम करने और वन संरक्षण को मजबूत करने का भी महत्वपूर्ण माध्यम है।

इस प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को पिरूल से टोकरियाँ, चूड़ियाँ, की-चेन, हैंडबैग, कोस्टर, ज्वेलरी और विभिन्न सजावटी उत्पाद बनाने की विधियाँ सिखाई गईं। प्रशिक्षिका मन्जू आर शाह, पिरूल वुमन, ने मार्केटिंग, पैकेजिंग और मूल्य निर्धारण की जानकारी भी दी, ताकि महिलाएँ भविष्य में अपने तैयार उत्पादों को बाजार में बेचकर आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।

पिरूल हर साल गर्मियों में बड़ी मात्रा में जंगल की ज़मीन पर फैल जाता है, जिससे वनाग्नि का खतरा बढ़ता है। महिलाओं द्वारा इसका संग्रहण और हस्तशिल्प निर्माण न केवल पर्यावरण संरक्षण का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि वन विभाग के वन सुरक्षा और आग नियंत्रण अभियान को भी प्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करता है।

कार्यक्रम में ब्लॉक प्रमुख देवप्रयाग विनोद बिष्ट, वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह रावत, प्रशिक्षु वन क्षेत्राधिकारी कृति नेगी, विभिन्न ग्राम प्रधान, वन दरोगा सुरेन्द्र दत्त सेमवाल, वन आरक्षी अरविन्द कुमार व सन्दीप पँवार सहित अनेक ग्रामीण और विद्यालयी छात्राएँ शामिल हुए। अतिथियों ने इस पहल को ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बढ़ाने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और समुदाय आधारित वन संरक्षण को मजबूत करने की दिशा में सराहनीय कदम बताया तथा भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।

Read Next Article Scroll Down

Related Posts