कोटद्वार में अवैध खनन पर बड़ी कार्रवाई, खनन माफियाओं पर कसता शिकंजा — पट्टाधारी पर ₹1.65 करोड़ से अधिक का अर्थदंड प्रस्तावित
कोटद्वार: पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार क्षेत्र में खनन विभाग ने अवैध खनन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सुखरौ नदी किनारे हो रहे अवैध खनन की शिकायतों के बाद सिंचाई, राजस्व और खनन विभाग की संयुक्त टीम ने मैसर्स त्रिलोक इंटरप्राइजेज (प्रो. लोकपाल सिंह रावत) द्वारा संचालित स्वीकृत खनन लॉट का निरीक्षण किया। जांच में बड़े स्तर पर अनियमितताएँ सामने आने के बाद विभाग ने पट्टाधारी पर ₹1,65,89,744 का भारी अर्थदंड प्रस्तावित किया है।
जांच टीम को मौके पर सीमांकन पिलर गायब मिले, साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर उपखनिज का उत्खनन पाया गया। पट्टाधारी को अधिकतम 2 मीटर गहराई तक खनन की अनुमति थी, लेकिन कई स्थानों में 3.5 मीटर तक खनन कर नियमों का खुला उल्लंघन किया गया। इससे सिंचाई विभाग की बाढ़ सुरक्षा दीवार और सीसी ब्लॉक को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई है।
निरीक्षण में स्वीकृत क्षेत्र में औसतन 300 मीटर लंबाई, 60 मीटर चौड़ाई और 2.6 मीटर गहराई में लगभग 84,240 टन उपखनिज का अवैध उठान पाया गया। जबकि ई-रवन्ना पोर्टल के अनुसार सिर्फ 48,655.2 टन की ही वैध निकासी दर्ज है। इस आधार पर 35,584.8 टन उपखनिज के अवैध विक्रय पर ₹99,63,744 का दंड प्रस्तावित किया गया है।
इसके अलावा प्रतिबंधित क्षेत्र से 14,850 टन अवैध खनन पर ₹41,58,000, जबकि अपस्ट्रीम हिस्से से 8,100 टन उठान पर ₹22,68,000 का दंड अलग से निर्धारित किया गया है। सीमांकन पिलरों के रख-रखाव में लापरवाही, CCTV फुटेज उपलब्ध न कराना और विक्रय का सही रिकॉर्ड न देना जैसी अनियमितताओं पर ₹2,00,000 का दंड भी लगाया गया है।

कुल मिलाकर खनन विभाग ने यह कार्रवाई खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है। विभाग ने पट्टाधारी से एक सप्ताह के भीतर CCTV फुटेज और पूरा विक्रय विवरण प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो विभाग अर्थदंड अधिरोपित कर वसूली की प्रक्रिया शुरू करेगा।




