खुद को नम्बर वन अखबार बताने वाले अमर उजाला के मैनेजमेंट की भावनाएं ,संवेदनाएं खत्म हो चुकी हैं क्या?
अभी पिछले मार्च के महीने इस नम्बर वन अखबार ने अपने अधिकांश कर्मचारियों की 50 प्रतिशत सेलरी काट दी थी।
वहीं अब कोरोना की इस भयानक महामारी के बीच यूपी से जबरन अपने कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश से बुलाकर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी अखबार की एजेंसियों से वसूली के लिए भेज रहा है।
उत्तर प्रदेश के इन कलेक्शन एजेंट को जबरन लॉक डाउन में पहाड़ बुलाया जा रहा है, नौकरी करनी है तो बेचारे आ रहे हैं। आखिरकार उन्होंने पर्वतजन को अपनी आवाज उठाने के लिए चुना।
जिसका स्क्रीनशॉट यहां दिया जा रहा है।
सबसे पहला सवाल यह है कि इस लॉक डाउन में उत्तर प्रदेश से आने वाले इन लोगों के पास कौन सा अधिकारी बना रहा है क्या उस अफसर पर कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।
दूसरा सवाल यह है कि एक और दो बद्री केदार के कपाट खोलने वाले रावल को 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन करने की बात की जा रही है ऐसे में अमर उजाला के ऐसे प्रतिनिधियों के पास बनाने वाले अफसर को क्या उन कर्मचारियों को पहले 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन नहीं करना चाहिए !
क्या अमर उजाला का होने के कारण इनके लिए क्वॉरेंटाइन का नियम नहीं है !
तीसरा सवाल यह है कि इन लोगों की कोई स्वास्थ्य जांच नहीं की गई है। ऐसे में यह कहां, कितनों से मिलेंगे, कितनी एजेंसियों में जाएंगे, कितनों से पैसे लेंगे, तो क्या इन से कोई कोरोना फैलने का डर नहीं है !
चौथा सवाल इस लॉक डाउन में इस तरह से घूमने में क्या इन कलेक्शन एजेंट को कोरोना का कोई खतरा नहीं है !
पांचवा सवाल यह है कि क्या अमर उजाला पहाड़ की एजेंसियों से कनेक्शन करने के लिए 3 मई के लॉकडाउन पीरियड तक रुक नहीं सकता ! क्या अमर उजाला को इतनी आर्थिक तंगी आ गई है !
छटा सवाल यह है कि जिस अखबार ने अपने ही संस्थान के कर्मचारियों की जान जोखिम में डलवा रखी हो ,जिसको उनकी फिक्र न हो, उससे पाठक क्या अपेक्षा रखेंगे ?
छपास के रोगी अफसरों और नेताओं ने यह तो कह दिया कि अखबार से कोरोना नहीं फैलता, लेकिन क्या उत्तर प्रदेश से बिना जांच किए और बिना क्वॉरेंटाइन हुए आने वाले इन कलेक्शन एजेंटों से भी क्या कोरोना नहीं फैलता !
सर्कुलेशन वाले इन कर्मचारियों को कोरोना कोविड 19 की महामारी के बीच जबरन जगह-जगह अखबार एजेंसियों के पास जाकर पैसे की वसूली करने के लिए भेजने को मजबूर किया जा रहा है।
जहाँ लॉकडाउन में राज्य की सारी सीमाएं बन्द हैं,ताकि बाहर से आने वाले किसी व्यक्ति के जरिये ये वायरस न फैले वहीं इस अखबार के द्वारा यूपी के मुरादाबाद और बदायूं से कोटद्वार ,पौडी, टिहरी ,उत्तरकाशी रूट पर एजेंसियों से कलेक्शन के लिए जबरन कर्मचारियों को बुलाया गया है।
वहीं सम्बंधित स्थानों के ब्यूरो को इनके पास बनवाने के लिए कह दिया गया है।
जबकि इन कर्मचारियों के पास न तो रहने का कोई ठिकाना है और न खाने का, पर फिर भी इनको मैनेजमेंट जबरन रूट पर कलेक्शन करने भेज रहा है।