उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अखबारों को गोद में बिठाकर सरकार आजकल राज्य स्थापना समारोह मना रही है, लेकिन उत्तराखंड के युवाओं के लिए आज के समारोह में वाकई सरकार कितनी गंभीर है यह सरकार की तैयारी से पता चल जाता है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर मेरे युवा मेरी शान के नाम पर जो पोस्ट की है उसमें मुख्यमंत्री की फोटो के साथ उत्तराखंड की नही बल्कि नोएडा के युवकों की फोटो लगी हुई है।
सूचना निदेशालय ने युवा सम्मेलन के लिए जो विज्ञापन तैयार किया है, उस पर नोएडा के युवाओं की फोटो लगाई है।
यह फोटो वर्ष 2017 में रिजल्ट के वक्त खुशी मनाते हुए युवाओं की है। सूचना निदेशालय ने आसपास की फोटो काटकर के केवल बीच का हिस्सा लगाकर विज्ञापन डिजाइन कराया है।
हिंदुस्तान टाइम्स में वर्ष 2017 में यह फोटो 12वीं के रिजल्ट की खुशी मनाते हुए छात्रों की खबर के साथ लगी हुई है। लोकप्रिय न्यूज पोर्टल “काफल ट्री” ने भी यह विषय गंभीरता से उठाया है।
सवाल यह है कि क्या पलायन के मारे उत्तराखंड में युवा बचे ही नहीं है या फिर सरकार को उत्तराखंड के युवाओं के चेहरे ही पसंद नहीं है, जो उन्हें नोएडा के युवाओं की फर्जी फोटो काटकर के लगानी पड़ रही है।
इससे समझा जा सकता है कि सरकार युवाओं के प्रति कितनी गंभीर है यदि सरकार युवाओं के प्रति गंभीर होती तो आयुर्वेद कॉलेजों के छात्र एक महीने से परेड ग्राउंड देहरादून में धरने पर नहीं बैठे होते और ना ही उपनल के युवक नौकरी से निकाले जा रहे होते।
उपनल के युवाओं को तो सरकार 6 महीने से तनख्वाह भी नहीं दे पा रही है लेकिन मेरे युवा मेरी शान जैसे आयोजनों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
इससे यही प्रतीत होता है कि सरकार के इस कार्यक्रम के जरिए कुछ लोग कुछ लूट खसोट तो जरूर कर लेंगे लेकिन युवाओं के प्रति वाकई कोई गंभीरता नहीं झलकती।