आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है । मामला ढाई सौ से तीन सौ करोड रुपए के घोटाले का है।
विजिलेंस जांच में आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई है जैसे सामान खरीदना निर्माण कार्य और भर्ती में जमकर धांधले बाजी हुई है।विजिलेंस ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।
ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही इस घोटाले मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में वर्ष 2017 से 2020 तक गलत तरीके से हुई नियुक्तियों, सामान खरीद में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता की विजिलेंस जांच करवाने के लिए सीएम धामी ने निर्देश दिए थे।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय पर अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए मनमाने ढंग से विभिन्न कामों के टेंडर अपने चहेतों को देने के आरोप थे ।
विजिलेंस टीम ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय पहुंचकर दस्तावेज खंगाले और खरीद कमेटी में शामिल पदाधिकारियों के बयान दर्ज किए। खुद को फंसता देख आयुर्वेद यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से काफी समय तो विजिलेंस टीम का सहयोग नहीं किया गया। इसके लिए विजिलेंस को कड़ा रुख अपनाना पड़ा।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय पर यह है आरोप:
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल संकाय, संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने का आरोप है। साथ ही विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन और एसीपी का भुगतान किया गया।
बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि की ओर से विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले गए। रोक लगाने, विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि की ओर से समितियों के गठन की विस्तृत सूचना शासन को न देने के साथ ही पीआरडी के माध्यम से 60 से अधिक युवाओं को भी भर्ती कर लिया गया।