सुभारती ग्रुप के बीहाइव कॉलेज की BAMS की मान्यता भी रद्द।
देहरादून ; नकली टीचर दिखाना किसी को कॉलेज को कितना भारी पड़ता है इसका उदाहरण पहले तो सुभारती मेडिकल कॉलेज पर देखने को मिला तथा अब सुभारती के ही अन्य संस्थान बीहाइव आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की इस सत्र की मान्यता भी रद्द हो गयी है।
आपको बता दे कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय को शिकायत मिली थी कि जो शिक्षक सुभारती मेडिकल कॉलेज देहरादून व मेरठ में पढ़ा रहे है वो ही शिक्षक बीहाइव आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज सेलाकुई देहरादून में पढ़ाते हुए दिखाए गए है यानी जो शिक्षक आज की तिथि में मेरठ में पढा रहा है वो ही आज की तिथि में सुभारती मेडिकल देहरादून में और वो ही बीहाइव में भी पढा रहा है जबकि ऐसा सम्भव ही नही हो सकता।
इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए भारत सरकार की आयुष मंत्रालय की टीम ने इसका गहन अध्ययन किया व आकस्मिक छापेमारी की तो टीम दंग रह गयी।
फर्जीवाड़े की हद इतनी जबरदस्त थी कि सुभारती का संचालक अतुल भटनागर सर्जन के रूप में सुभारती मेरठ, सुभारती मेडिकल देहरादून व बीहाइव मेडिकल में खुद 3 जगह पाया गया।
बरहाल फर्जीवाड़े की हद तो हो चुकी है और एक एक करके सुभारती के सब संस्थान बन्द हो जा रहे है ऊपर से राज्य सरकार उत्तराखंड का लगभग 1 अरब की कुर्की वारंट निकल चुके हैं और स्टेट बैंक ने 110 करोड़ की रिकवरी पूर्व में ही निकाली थी साथ ही देहरादून MBBS के छात्रो ने 3 अरब फीस व 3 साल खराब करने का जुर्माना के लिए भी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लगाई है जो 19 अगस्त को लगेगी।
वो दिन दूर नही जब सुभारती के इस फर्जीवाड़े के चलते मेरठ के संस्थान भी बन्द हो जाएगा क्योंकि कुल 8 अरब की देनदारी देहरादून के बीहाइव मेडिकल,सेलाकुई (जिसका नाम इनके हर विज्ञापन में होता है ) व झाझरा की सम्पति से तो यह वसूली हो पाना नामुमकिन है इसलिए मेरठ व अन्य सम्पति की नीलामी कर यह राशि वसूल की जाएगी।
बड़ा सवाल यह भी है कि इन अपराधियो को दूंन में कौन संरक्षण दे रहा है? जनता का ध्यान इस ओर भी जा रहा है कि क्या बीहाइव से जुड़े पूर्व विधान सभा अध्यक्ष वर्तमान विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता तो इस खेल में शामिल नही ?
सुभारती के छात्रों की फीस वापसी व जुर्माने पर सुनवाई कल सुप्रीम कोर्ट में
जैसा कि कयास लगाया जा रहा था,सुभारती के जिन छात्रों के 3 साल फर्जीवाड़े के चलते खराब हो गए उन्होंने अपनी फीस वापसी व सुभारती से कम्पेनसेशन के तौर पर 50-50 लाख उम्मीद लगाए है और इनका केस कल माननीय सुप्रीम कोर्ट के विद्वान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की बेंच में लगेगा ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार छात्रों का केस सर्वप्रथम इसी बेंच में लगा था तथा पहली ही सुनवाई पर इस बेंच ने सुभारती के क्रियाकलापों को फ्रॉड करार दे दिया था ।
छात्रो को उम्मीद है कि उन्हें अपनी फीस वापसी के आदेश मिलेंगे क्योंकि सुभारती इनसे 3 से 5 साल की फीस वसूल चुका था ।