BIS द्वारा पेपर और प्लास्टिक पैकेजिंग मानको पर केंद्रित ‘मानक मंथन’ का आयोजन

बिजेंद्र राणा 
देहरादून-भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा आयोजित ‘मानक मंथन’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल उत्तराखण्ड सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम प्लास्टिक आधारित पैकेजिंग से हटकर हरित विकल्पों की ओर बढ़ें।
उन्होंने कहा, “उत्तराखण्ड जैवविविधता से परिपूर्ण राज्य है। यहाँ प्लास्टिक और गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री का प्रभाव अधिक गंभीर होता है। इसलिए पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग अब एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है।”
उन्होंने BIS द्वारा तैयार किए गए मानकों की सराहना करते हुए कहा कि ये मानक केवल गुणवत्ता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और टिकाऊ विकास के उद्देश्य से भी जुड़े हुए हैं।
श्री उनियाल ने यह भी बताया कि राज्य सरकार उद्योगों को हरित तकनीक अपनाने हेतु नीति, प्रशिक्षण और सहायता योजनाएं उपलब्ध करा रही है। उन्होंने उद्योगों से आह्वान किया कि वे BIS के साथ मिलकर पर्यावरण-अनुकूल मानकों को अपनाएं। उन्होंने उत्तराखण्ड सरकार की ओर से BIS को हरसंभव सहयोग का आश्वासन देते हुए उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे BIS के मानकों को अपनाएं और राज्य को हरित राज्य के रूप में स्थापित करने में योगदान दें।
उन्होंने कहा कि “मानक मंथन जैसे कार्यक्रम नीति और उद्योग के बीच संवाद की एक मजबूत कड़ी बन सकते हैं। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हरित भविष्य की दिशा में कदम है।”
निदेशक, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) देहरादून श्री सौरभ तिवारी ने ‘मानक मंथन’ कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम केवल एक तकनीकी विमर्श नहीं, बल्कि उद्योग जगत और नीति-निर्माताओं के बीच एक सक्रिय संवाद की शुरुआत है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय संकट के इस दौर में पैकेजिंग अब केवल उत्पाद की सुरक्षा या प्रस्तुति का विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह सतत विकास और हरित प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हमारी जिम्मेदारियों से जुड़ा हुआ है।
श्री तिवारी ने BIS द्वारा विकसित किए गए प्रमुख मानकों — IS 2771 (नालीदार फाइबरबोर्ड बॉक्स), IS 1397 (क्राफ्ट पेपर), और IS 11805 (दुग्ध उत्पादों की पैकेजिंग हेतु पॉलीइथिलीन पाउच) इत्यादि— का उल्लेख करते हुए कहा कि ये मानक उद्योगों को पर्यावरण-अनुकूल समाधान अपनाने में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम के पश्चात तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, विशेष रूप से, काष्ठ आधारित पैकेजिंग पर श्री सौरभ चौरसिया सहायक निदेशक, बीआईएस द्वारा तथा प्लास्टिक आधारित पैकेजिंग पर सुश्री अनमोल अग्रवाल, सहायक निदेशक, बीआईएस द्वारा तकनीकी प्रस्तुतियाँ दी गईं। जिसमें पैकेजिंग उद्योग से जुड़े विभिन्न हित धारकओ , मानक विशेषज्ञों, तथा तकनीकी शोध छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से सहभागिता की। इन सत्रों में पेपर और प्लास्टिक आधारित पैकेजिंग से संबंधित भारतीय मानकों, नवाचारों, पर्यावरणीय प्रभावों एवं उद्योग की व्यवहारिक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। यह संवाद ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ नीति और अनुसंधान के बीच सेतु के रूप में भी उभरा।
“मानक मंथन” कार्यक्रम के दौरान श्री अनुपम द्विवेदी (संयुक्त निदेशक, DIC), श्री पंकज गुप्ता (अध्यक्ष, IAU), डॉ. हरिन्ध्र गर्ग (अध्यक्ष, SMAU), एवं श्री रितेश सिंह रेसिडेंट डायरेक्टर PHD चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री विशेष रूप से उपस्थित रहे। इनके साथ-साथ पैकेजिंग उद्योग से जुड़े विभिन्न प्रतिनिधि, तकनीकी विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। यह सत्र न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि उद्योग, शोध एवं नीति के बीच संवाद स्थापित करने में भी सफल रहा।

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