बेशर्म सरकार : आंगनवाड़ी बहनों की बिना वेतन-बोनस दीपावली फीकी
उत्तराखंड सरकार की इससे बड़ी बेशर्मी और क्या हो सकती है कि आंगनबाड़ी बहनों की दीपावली इस बार फीकी रहेगी। मात्र ₹3750 के अल्प मानदेय पर जी तोड़ मेहनत करने वाली आंगनबाड़ी सहायिका बहनों को इस बार दीपावली का वेतन नहीं मिला है।
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आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का वेतन 7500 है लेकिन इन्हें भी अभी तक मानदेय नहीं मिला है।
गौरतलब है कि दीपावली पर सरकारी कर्मचारियों को उनका रुका हुआ वेतन तो जारी हुआ ही है बल्कि उन्हें बोनस भी मिला है, लेकिन आंगनवाड़ी बहनों के हाथ खाली हैं।
उदाहरण के तौर पर हरिद्वार जिले में 3157 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें लगभग 6000 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिका तैनात है।
किंतु हरिद्वार की जिला कार्यक्रम अधिकारी भारती तिवारी वेतन के नाम पर बताती है कि विभाग में डायरेक्टर और सचिव के पद खाली होने के कारण मानदेय अभी तक नहीं मिल पाया है।
यही नहीं चाय बागान कर्मचारियों को भी वेतन नहीं दिए जाने की बात सामने आ रहे हैं।
आखिर कोई सरकार इतने संवेदनहीन कैसे हो सकती है ! गौरतलब है कि एक परिवार की महिला जब कुछ वेतन प्राप्त करती है तो पूरे घर के लिए छोटी-छोटी जरूरतों पर भी उनका ध्यान रहता है।।
परिवार के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर एक के चेहरे की खुशियों का उसे खयाल होता और मायूसियों का मलाल भी होता है। लेकिन इस बार दीपावली पर सब चीजों की पूर्ति करने के लिए उसके पास बेहद कम गुंजाइश है।
*अंधकार में होगी बाल विकास से हटाए गए 380 कर्मियों की दिवाली..न पैसा मिला न नौकरी…नेताओ और अधिकारियों के बीच पिसे बेरोजगार*
महिला सशक्तिकरण एवं बल विकास से हटाए गए करीब 380 कर्मचारियों की बहाली पर 2 महिने बाद भी असमंजस बना हुआ है। बीते 2 महीने से हटाए गए बाल विकास के कर्मियों के ऊपर किसी का ध्यान नही है। हटाये गये कर्मचारियों ने उपनल के जरिए व पुराना भुगतान दिए जाने की मांग की है।
एक ओर सरकार रोजगार का लॉलीपॉप पकड़ा रही है तो वहीँ दूसरी और कुछ दिनों का रोजगार देकर बेरोजगारों को विकलांग बना रही है।
आपको बता दें कि महिला कल्याण बाल विकास के आउटसोर्स कर्मचारियों करीब 6 माह का मानदेय नहीं दिए गया है,और साथ ही नॉकारी से भी निकाल दिया गया है।
प्रदेश भर में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास में केंद्र और राज्य सरकार की योजनों को साकार बनाने के लिए आउटसोर्स एजेंसी के जरिए 380 कर्मचारी तैनात हैं। एजेंसी और विभाग के बीच विवाद के कारण, एजेंसी ने मई से कर्मचारियों का वेतन नहीं दिया है।
अब 15 सितंबर से एजेंसी का अनुबंध भी समाप्त हो गया है। इस कारण कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त हो गई हैं।
जिसके बाद अब ये 380 कर्मचारी बेरोजगार हैं।
हटाए गए कर्मचारियों ने उपनल के जरिए व पुराना भुगतान दिए जाने की मांग की है।