(Courtesy दीपक फर्सवाण)
बदरीनाथ-केदार मंदिर समिति का अस्तित्व समाप्त होने से ऐन पहले 17 लोगों को एक्ट के खिलाफ विभिन्न पदों पर नियुक्ति दे दी गई। ताकि वे देवस्थानम बोर्ड में नौकरी पाने के हकदार बन सकें। इस मामले में बीकेटीसी के निवर्तमान अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल की भूमिका सवालों के घेरे में है।
बदरीनाथ-केदार मंदिर समिति 1939 एक्ट की धारा 15 (4) के मुताबिक मंदिर समिति में नियुक्तियां तभी होंगी जब नियुक्ति उप समिति इसकी संस्तुति करेगी। नियुक्ति उप समिति को भी मानव संसाधन उप समिति पहले इसका प्रस्ताव भेजेगी तभी वह पदवार नियुक्ति की सिफारिश बीकेटीसी से करेगी। इस नियम की धज्जियां उड़ाकर दिसम्बर 2019 में समिति में 17 लोगों को नियुक्ति दी दी गई।
ये नियुक्ति वाहन चालक, कम्प्यूटर ऑपरेटर, सहायक लिपिक से लेकर अध्यापक के पदों पर की गई। ये नियुक्तियां मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल के निर्देश पर की गईं। कहा जा रहा है कि जिन 17 लोगों को नियमों के खिलाफ नियुक्ति दी गई उनमें तीन मोहन प्रसाद थपलियाल के सगे सम्बंधी हैं। शेष नियुक्तियों में सेटिंग-गेटिंग का फार्मूला अपनाया गया।
समिति के 120 कर्मचारियों मे गहरा रोष
देहरादून। बीकेटीसी के कर्मचारियों में से 120 ऐसे कर्मचारी हैं जो पिछले 10 से 12 सालों से नौकरी कर रहे हैं। इन कर्मचारियों को आज भी 6000 से 8000 रुपये तक वेतन दिया जा रहा है जबकि जिन 17 कर्मचारियों की नियुक्ति हाल ही में नियमों को ताक पर रखकर की गई है उन्हें 10,000 से 16,500 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है।
‘मैंने सभी नियुक्तियां एक्ट के तहत ही की हैं। समिति के उपाध्यक्ष नियम विरुद्ध कुछ काम करवाना चाहते थे, मैंने नहीं किये तो अब वह मेरे खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं’।
_ मोहन प्रसाद थपलियाल, निवर्तमान अध्यक्ष, बीकेटीसी।
‘बीकेटीसी में नियुक्तियां गैरकानूनी तरीके से की गई है, इस घोटाले की उच्च स्तीरीय जांच होनी चाहिये। मैं अध्यक्ष को चुनौती देता हूं कि वह सार्वजनिक तौर पर बतायें कि मैं उनसे क्या गलत कार्य करवाना चाहता था’।
_ अशोक खत्री, निवर्तमान उपाध्यक्ष, बीकेटीसी।
जिन्हें नियुक्ति मिली उनका अध्यक्ष से रिश्ता
ममता भट्ट साली की बेटी
रेखा लखेड़ा भाई की साली
आशीष देवराड़ी बेटे का साला