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देहरादून: सड़कों के किनारे कचरा डंपिंग प्वॉइंट हटाकर सुधर सकती है स्वच्छता रैंकिंग

December 15, 2020
in पर्वतजन
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सड़कों के किनारे कचरा डंपिंग प्वॉइंट हटाकर सुधर सकती है स्वच्छता रैंकिंग

– एसडीसी फाउंडेशन ने शहर के 12 डंपिंग प्वॉइंट का सोशल ऑडिट कर जारी की रिपोर्ट
– शहर को डंपिंग प्वॉइंट मुक्त करने को दिए अन्य शहरों की तर्ज़ पर सुझाव*  

देहरादून स्तिथ एसडीसी फाउंडेशन ने देहरादून की सड़कों के आसपास स्थित कचरा, डंपिंग प्वॉइंट्स को हटा दिया जाए तो स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में देहरादून की रैंकिंग में सुधार हो सकता है। फाउंडेशन ने शहर के विभिन्न कचरा डंपिंग प्वॉइंट्स का सोशल ऑडिट करने के बाद अपनी रिपोर्ट जारी की। एसडीसी की ऑडिट टीम ने करीब एक सप्ताह तक शहर के पांच प्रमुख मार्गों- प्रेमनगर से बल्लूपुर, बल्लूपुर से क्लॉक टॉवर, बल्लूपुर से ट्रांसपोर्ट नगर, क्लॉक टॉवर से राजपुर रोड और आईएसबीटी से रिस्पना पुल तक 12 कचरे के डंपिंग प्वॉइंट की पहचान की।

कचरे की अनियंत्रित डंपिंग

इस ऑडिट में जो बातें प्रमुख रूप से सामने आई उनमें कचरे के ढेरों से उठती बदबू, उन पर भिनभिनाती मक्खियां और मच्छर, कुत्तों और दूसरे जानवरों द्वारा कूड़े के ढेरों को बिखेरना, महामारी के दौर में भी सफाई कर्मचारियों द्वारा बिना सुरक्षात्मक उपकरणों के काम करना आदि शामिल हैं। ऑडिट में यह बात भी सामने आई कि मल्टीलेयर प्लास्टिक कचरा, कपड़ा कचरा, हल्का प्लास्टिक (पॉलिथीन, पैकेजिंग प्लास्टिक) और कांच के कचरे के बाद खाद्य कचरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कचरा है। आम नागरिक और आस-पास के व्यवसायी दुकानों, कॉम्प्लेक्सों आदि को भी इन प्वॉइंट्स पर सीधे अपना कचरा डंप करते पाया गया।

मिल सकती है स्टार रेटिंग

एसडीसी फाउंडेशन के ऑडिट में यह भी बताया गया है कि, इन डंपिंग प्वॉइंट को हटा दिया गया तो देशभर में हाल ही में लॉन्च किए गए कचरा मुक्त शहरों के स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल में देहरादून अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।  यह प्रोटोकॉल कचरे का बेहतर करने वाले शहरों को उनके प्रदर्शन के अनुसार स्टार रेटिंग देता है। अधिकतम रेंटिंग 7 स्टार है। फिलहाल देहरादून की कोई स्टार रेटिंग नहीं है। ऑडिट में एक सकारात्मक पहलू यह मिला कि देहरादून नगर निगम डंपिंग प्वॉइंट्स को साफ रखने और हाईजेनिक रखने के लिए ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव और नियमित सफाई कर रहा है।

सोर्स से सुधार प्रक्रिया

एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में कचरा प्रबंधन के लिए सोर्स से ही कचरे को अलग करने, आधुनिक और यंत्रीकृत बुनियादी ढांचे का निर्माण, सामुदायिक और व्यक्तिगत स्तर के कम्पोस्टिंग प्रणालियों की सुविधा, कचरा स्थानांतरण स्टेशनों का एक नेटवर्क स्थापित करने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लास्टिक कचरे के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट किया जाना चाहिए और सूखा कचरा संग्रहण केंद्र स्थापित किये जाने चाहिए। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि इंदौर, अंबिकापुर, चंडीगढ़, पुणे और देश के अन्य सबसे स्वच्छ शहरों में कचरा प्रबंधन के उठाये जाने वाले कदमों से सीख लेनी चाहिए।

इस बारे में फाउंडेशन ने मेयर सुनील उनियाल गामा से बातचीत की तो उन्होंने कहा, “हम इस दिशा में कदम उठा रहे हैं। हमने पहले ही टैगोरविला, राजा रोड और कोर्ट रोड से डंपिंग प्वॉइंट्स हटा दिये हैं। यह मुद्दा हमारी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। मैं लोगों से धैर्य रखने और हमारे साथ सहयोग करने का अनुरोध करता हूं।“  उन्होंने कहा कि शहर में डोर-टू-डोर कलेक्शन मैकेनिज्म को बेहतर बनाने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि अगले साल की शुरुआत में हम शहर को पूरी तरह से डंपिंग प्वॉइंट्स से मुक्त कर देंगे।  उन्होंने एसडीसी को यह भी बताया कि जल्द ही शहर को डोर टू डोर कलेक्शन के लिए दो कचरा संग्रह वैन मिलेंगी।

एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल का कहना है कि यदि हम सड़क के किनारे स्थित इन डंपिंग प्वॉइंट्स को खत्म करने में सफल होते हैं तो इससे शहर की स्वच्छ भारत की रैंकिंग में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ये सर्वेक्षण शहरों को साफ-सुथरा बनाने के मददगार साबित हुए हैं। कोविड-19 के दौर में इनसे लाभ मिला है। उन्होंने उम्मीद जताई कि फाउंडेशन का यह ऑडिट कचरा प्रबंधन के प्रयासों में जुटे देहरादून नगर निगम की मदद करेगा। उन्होंने आगे कहा कि आवश्यकता पड़ने पर हम नगर निगम और अन्य नागरिक एजेंसियों की मदद करने के लिए तैयार हैं।

इस ऑडिट का संचालन एसडीसी फाउंडेशन के ऋषभ श्रीवास्तव, प्यारे लाल, प्रवीण उप्रेती और पूर्णिमा मिश्रा ने किया।


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